COVID-19: क्या सही आंकड़ा छुपा रहा चीन, हो चुकी 2 करोड़ लोगों की मौत...जानिए क्या है सच...
चीन में पिछले तीन महीने से कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है। चीन की सरकार ने वायरस से अब तक 3,270 लोगों की मौत और 81,093 के संक्रमित होने की पुष्टि की है। लेकिन सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है चीन में कोरोना से 2 करोड़ से अधिक मौतें हुई हैं लेकिन चीन सही आंकड़ा छुपा रहा है। इसके पीछे मोबाइल यूजर्स की संख्या में भारी गिरावट का हवाला दिया गया है।
क्या है वायरल-
कई चीनी नागरिकों ने वीडियो और दस्तावेजों के जरिये कोरोना से चीन में मौत के सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दावा किया कि चीन में बीते तीन माह में 2.1 करोड़ मोबाइल फोन यूजर्स कम हो गए।
क्या है सच-
हाल ही में मोबाइल यूजर्स को लेकर चीन ने सरकारी मासिक डाटा जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि पिछले तीन महीने में चीन में 2.1 करोड़ मोबाइल यूजर्स घटे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और फरवरी में चाइना मोबइल के 80 लाख यूजर्स कम हुए, वहीं चाइना यूनिकॉम के 78 लाख और चाइना टेलिकॉम के 56 लाख यूजर्स कम हुए।
बता दें, चीन में अक्सर लोगों के पास एक से ज्यादा सिम होते हैं।
Epoch Times की रिपोर्ट के अनुसार, चीन में अब स्कूल बंद होने के बाद विद्यार्थी फोन के जरिये ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं, तो हो सकता है कि कई ने नए फोन नंबर ले लिए हों।
रिपोर्ट में आगे यह भी लिखा है कि चीन में लाखों माइग्रेंट काम करते हैं। इसलिए इस बात की भी संभावना जताई गई कि माइग्रेंट वर्कर्स जनवरी में चाइनीज न्यू ईयर मनाने अपने-अपने घर गए हों और बाद में ट्रैवल बैन के कारण अपने वर्क प्लेस न जा पाएं हों और वहां का नंबर बंद कर दिए हों।
रिपोर्ट में एक और संभावना जताई गई कि चीन में शटडाउन के कारण आर्थिक परेशानियों की स्थिति में कई लोगों ने एक्सट्रा सेलफोन बंद कर दिए हों।
वहीं, चीन में यह खबर भी सामने आई थी कि बड़ी संख्या में लाशों का अंतिम संस्कार वुहान में किया गया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद चीन ने वॉशिंगटन जर्नल, न्यूयॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकारों को अपने देश से बाहर कर दिया था। इन सभी मीडिया हाउस के पत्रकारों ने अपनी खबरों में कहा था कि चीन कोरोना वायरस से मरने वालों का सही आंकड़ा नहीं पेश कर रहा है और चीन अहम जानकारियों को दुनिया से छिपा रहा है।
हमने इस मुद्दे पर अधिकृत एंजेंसियों से भी सम्पर्क किया लेकिन WHO सहित किसी भी अंतराष्ट्रीय मान्य संस्था द्वारा पुष्टि न किए जाने से इसके बेबुनियाद और फेक न्यूज होने पर कोई संदेह नहीं है।