क्या सही है प्यार का विरोध
प्रेम नहीं, गलत संस्कृति पर आपत्ति
वेलेंटाइन डे आने के साथ जहाँ प्यार करने वालों ने इसके लिए तैयारियाँ शुरू कर दी हैं, वहीं इस दिन विरोध करने वाले भी पीछे नहीं हैं। भोपाल में कुछ प्रमुख संगठनों से चर्चा की गई और उनके मन में छिपी इस विरोध की आवाज को जानने की कोशिश की गई। उनसे भी बात की गई जो विरोध और विरोध के लिए अपनाए जाने वाले तरीकों को गलत ठहराते हैं। वेलेंटाइन डे विरोधी संस्थाओं का कहना है कि वे पश्चिमी संस्कृति को हावी नहीं होने देंगे। हर साल की तरह इस बार भी प्रेमी युगलों के सार्वजनिक प्रेमालाप और प्रदर्शन को रोकने के लिए शक्ति का प्रयोग किया जाएगा। जो भी इसका विरोध करेगा उसे भी मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। क्यों है विरोध संस्कृति बचाव मंच के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी प्रेम के सार्वजनिक प्रदर्शन को गलत ठहराते हैं। उनका कहना है कि आज के युवाओं का प्रेम का तरीका पूरी तरह पाश्चात्य संस्कृति से ओत-प्रोत है। प्रेम किसी एक खास दिन करने का नाम नहीं है, बल्कि यह तो हर दिन, हर पल किया जा सकता है। पश्चिमी देशों और बाजार द्वारा थोपी गई संस्कृति को हम कतई पनपने नहीं देंगे। संस्कृति से खिलवाड़ मंजूर नहीं बजरंग दल के प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र रावत का कहना है कि वेलेंटाइन डे के नाम पर समाज में अश्लीलता, अभद्रता, भौंडापन और नंगापन परोसा जा रहा है। हमारे देश में हर चीज के लिए त्योहारों की परंपरा है। इनमें प्रेम प्रदर्शन के त्योहार भी शामिल हैं, लोग उन्हें क्यों नहीं मनाते? उन्होंने कहा कि फिल्मों और टीवी के सहारे चलने वाली हमारी युवा पीढ़ी बाजारवाद की राजनीति से बेखबर पाश्चात्य संस्कृति में बही जा रही है। उसे रोकने का कर्तव्य भी आप-हम पर ही है। सही रास्ता दिखाने के लिए भले ही सख्त कदम उठाना पड़े, लेकिन हम संस्कृति के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। संदेश को विकृत कर दिया है बजरंग दल के विभाग संयोजक सुशील सुदेले का कहना है कि बसंत पंचमी, हरतालिका तीज जैसे त्योहारों के जरिये भी प्रेम का इजहार किया जा सकता है, फिर हम अपने देश में बाहरी संस्कृति को क्यों जगह बनाने दें? संत वेलेंटाइन ने भी प्रेम के प्रदर्शन में अश्लीलता का संदेश नहीं दिया है, लेकिन उनके द्वारा बनाए गए प्रेम के दिन को भारतीय युवाओं ने अपनी मनमर्जी से विकृत कर लिया है। इसे अभी न रोका गया तो आने वाली पीढ़ियाँ हमारी संस्कृति से बेखबर रहेंगी और पाश्चात्य सभ्यता की पैरवी करने लगेंगी।