गुरुवार, 21 सितम्बर 2023
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गांधीजी की सफलता के मंत्र

सोमवार,अक्टूबर 3, 2011
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कोई खतरा नहीं है हिन्दी को

बुधवार,सितम्बर 14, 2011
हर साल हिन्दी दिवस आता है, चला जाता है। हर साल सरकारी दफ्तरों में, स्वायत्त संस्थाओं में हिन्दी को लेकर कुछ सभाएँ हो जाती हैं। बैंकों में कुछ बातें हो जाती हैं। पब्लिक सेक्टर संस्थानों में कुछ हिन्दी-हरकत हो जाती है। कवि सम्मेलन टाइप कुछ हो जाता है। ...
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शब्दों में बड़ी ताकत है। लेकिन उनके इस्तेमाल और व्यवहार का दायित्व उन लोगों के कंधों पर हो, जो ज्ञान, विवेक, समझदारी और संवेदनशीलता के मामले में ऊंचे सोपानों पर खड़े हैं। बिजनेस में हिन्दी की ताकत का प्रमाण है हिन्दी फिल्मों का अकाल्पनिक मुनाफा, ...
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हिन्दी के सामर्थ्य की सुगंध से एलर्जी मानसिक दीवालिएपन की निशानी है। मराठी की छोटी-सी कटोरी की लालसा में, हिन्दी का नमक खाने वाले हम, हिन्दी की थाली में छेद कर रहे हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र विधानसभा की घटना ने सिद्ध कर दिया है कि हिन्दी भाषा को, ...
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हिन्दी : एक नजर में

बुधवार,सितम्बर 14, 2011
हिन्दी भाषा 'इंडो यूरोपियन' परिवार से संबंध रखती है। इसकी शाखा 'इंडिक' है। इस भाषा के उद्गम का महाद्वीप 'एशिया' व देश 'भारत' है। भारत देश में हिन्दी भाषा को अधिकृत रुप से उपयोग किया जाता है। 366,000,000 लोगों के लिए यह भाषा 'मातृभाषा' है वहीं इस ...
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हमारे युवा और उनकी 'हिन्दी'

बुधवार,सितम्बर 14, 2011
भारत की आबादी में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है ...। बार-बार कहा जाता है कि भारत के युवा ही देश की दिशा व दशा तय करेंगे। लेकिन यदि हिन्दी भाषी देश में रहने वाले इन्हीं युवाओं के हिन्दी-ज्ञान की बात की जाए तो जानकर बेहद अचरज होता है कि अधिकतर ...
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हमारी भाषा पराई क्यों है?

बुधवार,सितम्बर 14, 2011
हिन्दी क्या है...। इस प्रश्न के उत्तर में मस्तिष्क में कई जवाब उमड़-घुमड़ रहे हैं। लेकिन जवाबों की उथल-पुथल में एक जवाब मुझे बेहद सटीक लग रहा है। मुझे लगता है हिन्दी एक हाथी की तरह है। वह इसलिए क्योंकि हिन्दी पर भारत की 35 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था का ...
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हिन्दी : हम सबकी गौरव भाषा

मंगलवार,सितम्बर 13, 2011
राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। राष्ट्र के गौरव का यह तकाजा है कि उसकी अपनी एक राष्ट्रभाषा हो। कोई भी देश अपनी राष्ट्रीय भावनाओं को अपनी भाषा में ही अच्छी तरह व्यक्त कर सकता है। भारत में अनेक उन्नत और समृद्ध भाषाएं हैं किंतु हिन्दी सबसे अधिक ...
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हिन्दी हमारी भाषा के नाते ही नहीं,अपनी उपयोगिता के नाते भी आज बाजार की सबसे प्रिय भाषा है। आप लाख अंगरेजी के आतंक का विलाप करें। काम तो आपको हिन्दी में ही करना है, ये मरजी आपकी कि आप अपनी स्क्रिप्ट देवनागरी में लिखें या रोमन में। यह हिन्दी की ही ...
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लिपि के लोप होने का खतरा

मंगलवार,सितम्बर 13, 2011
हर हाथ में मोबाइल फोन और हर घर तक इंटरनेट की पहुंच बनाने की कंपनियों की कोशिश के बीच हिन्दी भाषा के समक्ष नई प्रौद्योगिकी ने उसकी लिपि देवनागरी के लोप का खतरा पैदा कर दिया है। यह मानना है विशेषज्ञों का जो इस बात से चिंतित हैं कि मोबाइल फोन से एसएमएस ...
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लाड़ली बेटी है ये हिन्दी

सोमवार,सितम्बर 12, 2011
संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये हिन्दी। बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिन्दी। सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है, ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी। पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है, मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी। पढ़ने व पढ़ाने में ...
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राष्ट्रभाषा के साथ जैसा छल-कपट भारत में होता है, वैसा दुनिया के किसी भी देश में, किसी भी भाषा के साथ नहीं होता। उसका ओहदा महारानी का है और काम वह नौकरानी का करती है। दुर्योधन के दरबार में उसे द्रौपदी की तरह घसीटा जाता है और भारत के बड़े से बड़े ...
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संस्कृत और हिन्दी देश के दो भाषा रूपी स्तंभ हैं जो देश की संस्कृति, परंपरा और सभ्यता को विश्व के मंच पर बखूबी प्रस्तुत करते हैं। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं।
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‍हिंदी भाषा को हम सभी समझते हैं, जानते हैं और बोलते हैं। बड़ी प्यारी सी सरल भाषा है हिंदी। किसी न किसी रूप में इसका हम उपयोग जरूर करते हैं। हम अपने विद्यालय में, अपने दोस्तों से खेल के मैदान पर हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। हम कोई वस्तु खरीदने ...
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फिल्मों में मास्टरजी को सामान्य व्यक्ति के रूप में बहुत कम दिखाया जाता है। टीचर के रूप में या तो उसे बेहद लाचार और कमजोर बताते हैं, जो कुरता-पजामा पहने, हाथ में छड़ी पकड़े, चश्मा लगाए, टूटी-फूटी साइकिल पर सवार होकर आदर्शवादी बातें करता रहता है या ...
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मास्टर या रिंग मास्टर

रविवार,सितम्बर 4, 2011
सरकस में रिंग मास्टर होता है और बड़े स्कूल यानी हायर सेकंडरी में पीटी मास्टर। हाल ही में समाचार-पत्रों में 'सचित्र समाचार' छपा जिसे देख-पढ़कर सबने दाँतों तले उंगलियां दबा ली। उंगलियां-हाथों को दबाते हुए मोटरसाइकल गुजारना पीटी मास्टर का नया करतब था।
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दिवस के बहाने 'शिक्षक' सम्मान

रविवार,सितम्बर 4, 2011
शिक्षक दिवस पर कई शिक्षकों की अपेक्षाभरी निगाहें राजधानी की ओर एक सम्मान को तलाशती हैं। शायद इस बार उनका सच्चा मूल्यांकन होगा। शासन बांहें फैलाकर, पास बुलाकर गले लगाएगा। कहेगा- ये है राष्ट्र निर्माण की सच्ची आधारशिला। प्रतीक पुरुष हैं ये जीवन-दर्शन ...
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ज्ञान के बदले क्या दें उपहार

रविवार,सितम्बर 4, 2011
हमारे भारत वर्ष में गुरु का सम्मान अनादि काल से चला आ रहा है। आज बस उसका स्वरूप बदल चुका है। पहले गुरुकुल में रहकर छात्र शिक्षा प्राप्ति के बाद गुरु दक्षिणा देते थे और गुरु पूर्णिमा या शिक्षक दिवस के अवसर पर कॉलेजों के छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रकार ...
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भारतीय मां-बाप और शिक्षक यहां तक कि भारतीय स्कूल- कॉलेजों के प्रबंधक भी पाठ्येतर गतिविधियों को बहुत कम महत्व देते हैं। हमारे यहां शिक्षा का मतलब सिर्फ अकादमिक पढ़ाई है। शिक्षा का मतलब छात्र-छात्रा के संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारना बहुत ही कम लोग समझते ...
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यह बहुत आसान है कि किसी की भी निंदा करके या आलोचना करके पल्ला झाड़ लिया जाए। शिक्षकों का मामला कुछ ऐसा ही है। शिक्षक दिवस की औपचारिकता निभा दी जाती है। इस दिन उन्हें मान-सम्मान दे दिया जाता है। उन्हें शॉल, श्रीफल देकर फोटो खिंचवाया लिया जाता है। इसी ...
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