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Written By WD

गांधीजी की सफलता के मंत्र

- राजश्री कासलीवाल

2 October | गांधीजी की सफलता के मंत्र
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महात्‍मा गांधी की जयंती हम 2 अक्टूबर को मनाते हैं। कोई उन्हें बापू कहता है, तो कोई अहिंसा के पुजारी। राष्ट्रपिता के रूप में आज भी वे दुनिया भर में विख्‍यात हैं। सभी उन्हें अहिंसावादी आचरण और अपनी वचनबद्धता के लिए याद करते है।

ऐसे महान राष्‍ट्रपिता गांधीजी ने अपने जीवन में 16 आदर्शों को खास तवज्जो दी, इनमें से तीन सूत्रों को उन्होंने मुख्यतः लिया। पहला- सामाजिक गंदगी को दूर करने के लिए झाड़ू का सहारा। दूसरा- सामूहिक प्रार्थना को बल देना, जिससे एकजुट होकर व्यक्ति जात-पात और धर्म की बंदिशों को दरकिनार कर प्रार्थना करें। तीसरा- आखिरी रास्ता चरखा। यह आत्मनिर्भर और एकता का प्रतीक माना जाने लगा था। पेश है गांधीजी के संबंध में कुछ खास और महत्वपूर्ण बातें :-

* अहिंसा के रास्ते पर चलने की बात गांधीजी ने आजादी की लड़ाई में शामिल हर शख्स से कही थी।

* राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा ही नई तालीम को जानने और उसे अपनाने के समर्थन में रहे। इसी बल पर आजादी की लड़ाई में सफलता हासिल की।

* शाकाहारी भोजन को गांधीजी ने अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लिया था।

* गांधीजी ने भगवान महावीर के रास्ते पर चल कर त्याग को अपने जीवन में सदा अपनाए रखा और सादगीभरे जीवन के साथ-साथ कम से कम चीजों से अपना जीवनयापन किया।

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* महात्मा गांधी हर धर्म और जाति से जुड़े हुए थे। वे सभी धर्मों के प्रति विशेष आस्था रखते थे।

* गांधीजी ने सत्य की राह पर चल कर सत्याग्रह की नींव रखी। उनके जीवन में कई कठिन मोड़ आए किंतु उन्होंने सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ा।

गांधी के आदर्शों को हमने अब तक किताबों में पढ़ा, टीवी पर देखा और दूसरों से सुना था, लेकिन वक्त ने फिर एक बार करवट बदली और महात्मा गांधी के उन आदर्शों को फिर एक बार हजारे ने दोहराया तो सभी भारतवासी हाथ में तिरंगा थामें फिर महात्मा गांधी के पदचिह्नों पर निकल पड़े। ऐसे महान पुरुष को देशवासियों का नमन।