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Written By भाषा

फर्रुखाबाद में सलमान खुर्शीद की प्रतिष्ठा दांव पर

फर्रुखाबाद में सलमान खुर्शीद की प्रतिष्ठा दांव पर -
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मुस्लिम अधिकारों के पैरोकार के रुप में उभर रहे केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाली पांचों विधानसभा सीटों पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इनमें से एक फर्रुखाबाद विधानसभा सीट पर उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद के खड़े होने से यह सीट और महत्वपूर्ण हो गई है।

फर्रुखाबाद नगर क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी लुईस बहुकोणीय मुकाबले में हैं। यहां उनका भविष्य न सिर्फ उन तक सीमित है बल्कि उनके पति खुर्शीद की पकड़ भी इससे ही साबित होगी।

चौथे चरण में 19 फरवरी को होने वाले मतदान में अपनी पत्नी के चुनाव क्षेत्र में खुर्शीद अपने प्रभाव के एक-एक वोट उनकी झोली में डलवाने के लिए घर-घर हाजिरी दे रहे है।

लुईस खुर्शीद 2002 के विधानसभा चुनाव में अपने पति के गृह विधानसभा क्षेत्र कायमगंज में 23.12 प्रतिशत मत लेकर पहली बार विधायक चुनी गई थीं, लेकिन 2007 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी कुलदीप गंगवार ने उन्हें पराजित कर दिया।

नए परिसीमन में कायमगंज सीट आरक्षित हो गई जिससे उन्होंने इस बार फर्रुखाबाद नगर क्षेत्र को चुना है। गत 2004 के लोकसभा चुनाव में लुइस ने अपने पति के चुनाव क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था और सपा प्रत्याशी चन्द्र भूषण सिंह के मुकाबले 26.05 प्रतिशत वोट लेकर हार गई थीं।

नए परिसीमन में फर्रुखाबाद विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 15 हजार 626 मतदाता हैं जिनमें से लगभग डेढ़ लाख महिला मतदाता हैं। इस क्षेत्र में पिछली बार के मुकाबले गंगापार का राजेपुर विकासखंड निकल गया है और टाउनहाल से कमालगंज ब्लाक का भोजपुर गांव शामिल हुआ है।

गंगापुर क्षेत्र कट जाने से जहां मुसलमान मतदाताओं की संख्या 50 हजार से कुछ अधिक रह गई वहीं ब्राह्मण, वैश्य और ठाकुर वोटों की संख्या 60 हजार से अधिक बताई गई है। पिछड़े वर्गो लोध, शाक्य, यादव, कुर्मी तथा वाथम मतदाताओं की संख्या 90 हजार के आस-पास है। इसके आधार पर सवर्ण मतदाताओं की हैसियत में इजाफा हुआ है जो कभी कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक रहा है।

गत चुनाव में हालांकि इस वर्ग ने आंखे बंद कर बसपा का साथ दिया था। पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का जहां तक प्रश्न है तो वे उनके आरक्षण हिस्से से 9 प्रतिशत काट कर पिछड़े मुसलमानों को देने की घोषणा के बाद से कांग्रेस की तरफ देखना प्रसंद नहीं कर रहा है।

ब्राह्मण वोटों को हासिल करने के इरादे से भाजपा ने सुनील दत्त द्विवेदी को मैदान में उतारा है। उनके माता-पिता दोनों राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। युवा जुझारु निर्दलीय प्रत्याशी डाक्टर अनुपम दुबे भी हालांकि ब्राह्मण वोटों पर आस टिकाए हुए हैं।

पुराने कमालगंज क्षेत्र से लगातार दो बार भाजपा प्रत्याशी के रुप में लोध मतदाताओं के आंख-मूद समर्थन के बल पर विधायक रही उर्मिला किसी भी रुप में चुनावी मुकाबले में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी से कम नहीं आंकी जा रही है।

चुनावी हार जीत में नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन तथा दो बार नगर क्षेत्र से चुनाव जीतने वाले विजय सिंह भी निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में पांचवें प्रत्याशी होकर ताल ठोक रहे है।

उनके चुनावी प्रबंधन का यहां के लोग लोहा मानते है पर वे किस पर कितने भारी पड़ेंगे और किसका चुनावी अंक गणित गड़बड़ा जाएगा यह चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा। (भाषा)