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Last Updated :संभल , सोमवार, 9 दिसंबर 2024 (23:27 IST)

UP : 15 दिनों के भीतर अदालत में पेश की जाएगी संभल जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट

sambhal mosque survey
उत्तरप्रदेश के संभल जिले की जामा मस्जिद के सर्वेक्षण की रिपोर्ट सोमवार को एडवोकेट कमिश्नर के खराब स्वास्थ्य के कारण अदालत में पेश नहीं की जा सकी। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। एडवोकेट कमिश्नर रमेश सिंह राघव ने संवाददाताओं को बताया कि उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण सर्वे रिपोर्ट दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत में नहीं पेश की जा सकी।
 
राघव ने अदालत में एक अर्जी दाखिल कर रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिन का और समय मांगा, जिसे मंजूर कर लिया गया। उन्होंने बताया कि अदालत ने अर्जी पर विचार करते हुए कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर दायर की जाए।
 
राघव ने कहा कि मैंने अदालत से 15 दिनों का समय मांगा था लेकिन मेरी अर्जी को ‘कीप ऑन फाइल’ के रूप में चिह्नित किया गया। क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया है कि अधीनस्थ न्यायालय कोई आदेश पारित नहीं करेगी। अब उच्च न्यायालय में छह जनवरी की तारीख तय की गई है और हम 15 दिनों से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।”
 
एडवोकेट कमिश्नर ने इससे पहले संवाददाताओं से कहा था कि सर्वेक्षण की अंतिम रिपोर्ट तैयार है। उन्होंने कहा, “यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी लेकिन स्वास्थ्य कारणों से मैंने अदालत से 15 दिन का समय मांगा है। मुझे तीन-चार दिन से बुखार था। मैं अभी तक रिपोर्ट का विश्लेषण नहीं कर पाया हूं।”
 
वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील शकील अहमद वारसी ने कहा कि आयोग ने 15 दिन का समय मांगा था, जिस पर उन्होंने लिखित में आपत्ति जताई थी।
 
वारसी ने कहा, “अदालत ने उन्हें (एडवोकेट कमिश्नर को) कोई समय नहीं दिया। आज रिपोर्ट न तो दाखिल की गई है और न ही दाखिल की जाएगी। उन्होंने पहले 19 नवंबर को सर्वेक्षण किया और फिर 24 नवंबर को अदालत की अनुमति के बिना सर्वेक्षण किया। उन्हें 29 नवंबर को रिपोर्ट सौंपनी थी। फिर उन्होंने और समय मांगा। अदालत ने 10 दिन का समय दिया और अब वह फिर 15 दिन का मांग रहे हैं। जब आयोग का गठन हो चुका है, तो देरी किस बात की है?”
 
उन्होंने कहा, “हमने मस्जिद की ओर से आपत्ति दर्ज कराई है। वे वादी पक्ष के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। वे रिपोर्ट क्यों नहीं दाखिल करना चाहते? क्या वे आपस में विचार-विमर्श कर रहे हैं? हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे। जब तक उच्चतम न्यायालय से कोई निर्देश नहीं आता हम तब तक लड़ेंगे।” भाषा
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