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Last Updated : गुरुवार, 2 सितम्बर 2021 (00:03 IST)

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे केंद्र सरकार, Allahabad High Court ने सुझाव देते हुए कहा- इससे होगा देश का कल्याण

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे केंद्र सरकार, Allahabad High Court ने सुझाव देते हुए कहा- इससे होगा देश का कल्याण - cow should be declared as national animal suggested allahabad high court to central government
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोहत्या के एक मामले में कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में रखा जाए क्योंकि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था पर चोट होती है तो देश कमजोर होता है।
 
न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने याचिकाकर्ता जावेद की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। जावेद पर आरोप है कि उसने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर वादी खिलेंद्र सिंह की गाय चुराई और उसका वध कर दिया।
 
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि जावेद निर्दोष है और उस पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और उसके खिलाफ पुलिस से मिलकर झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया है। जावेद 8 मार्च से जेल में बंद है।
 
शासकीय अधिवक्ता ने जमानत याचिका का यह कहते हुए विरोध किया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप सही हैं और अभियुक्त को टॉर्च की रोशनी में देखा और पहचाना गया। 
 
उन्होंने कहा कि अभियुक्त जावेद, सह अभियुक्त शोएब, रेहान, अरकान और 2-3 अज्ञात लोगों को गाय को काटकर मांस इकट्ठा करते हुए देखा गया। ये लोग अपनी मोटरसाइकल मौके पर छोड़कर भाग गए थे।
 
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि गाय का भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है और गाय को भारत देश में मां के रूप में जाना जाता है। भारतीय वेद-पुराण, रामायण आदि में गाय की बड़ी महत्ता दर्शाई गई है। इसी कारण से गाय हमारी संस्कृति का आधार है।
 
अदालत ने कहा कि गाय के महत्व को केवल हिन्दुओं ने समझा हो, ऐसा नहीं है। मुसलमानों ने भी गाय को भारत की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना और मुस्लिम शासकों ने अपने शासनकाल में गायों के वध पर रोक लगाई थी।
अदालत ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में गोहत्या पर रोक को संघ की सूची में रखने के बजाय राज्य सूची में रख दिया गया और यही कारण है कि आज भी भारत के कई राज्य ऐसे हैं जहां गौवध पर रोक नहीं है।
 
अदालत ने याचिकाकर्ता जावेद के मामले में कहा कि वर्तमान वाद में गाय की चोरी करके उसका वध किया गया है जिसका सिर अलग पड़ा हुआ था और मांस भी रखा हुआ था।

मौलिक अधिकार केवल गौमांस खाने वालों का विशेषाधिकार नहीं है। जो लोग गाय की पूजा करते हैं और आर्थिक रूप से गायों पर जीवित हैं, उन्हें भी सार्थक जीवन जीने का अधिकार है। गौमांस खाने का अधिकार कभी मौलिक अधिकार नहीं हो सकता।  अदालत ने कहा कि सच्चे मन से गाय की रक्षा और उसकी देखभाल करने की आवश्यकता है। सरकार को भी इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना होगा।
 
अदालत ने कहा कि सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ भी कानून बनाना होगा जो छद्म रूप में गाय की रक्षा की बात गौशाला बनाकर करते तो हैं, लेकिन गौरक्षा से उनका कोई सरोकार नहीं है और उनका एकमात्र उद्देश्य गौरक्षा के नाम पर पैसा कमाने का होता है। (भाषा)
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