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गीत : ईद
रहमतें बरसेंगी-रहमत की घटा छाई हैईदे कुरबाँ की ज़माने में बहार आई हैतू न आएगा तो तेरा ही ख़्याल आएगाईद का दिन तेरी यादों में गुज़र जाएगा। दिल तमाशा है मेरा, दिल ही तमाशाई हैआज तो फूल भी कहते हैं सभी खिल-खिल के ईद तो हम भी मनाएँगे गले मिल-मिल के ईद जब आई है हर शै ने ग़ज़ल गाई है अब कोई देश में अदना है न आला होगाअब ग़रीबी को अमीरी से न शिकवा होगा ईद फिर से यही पैगामे वफ़ा लाई है। -
अज़ीज़ अंसारी