- लाइफ स्टाइल
» - उर्दू साहित्य
» - शेरो-अदब
ग़ज़ल : इब्ने इन्शा
ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली, जाते में मुसकाती जामन नगरी की उजड़ी गलियाँ सूने धाम बसाती जादीवानों का रूप न धारें या धारें बतलाती जामारें हमें या ईंट न मारें लोगों से फ़रमाती जाऔर बहुत से रिश्ते तेरे और बहुत से तेरे नामआज तो एक हमारे रिश्ते मेहबूबा कहलाती जापूरे चाँद की रात वो सागर जिस सागर का ओर न छोर या हम आज डुबो दें तुझको या तू हमें बचाती जाहम लोगों की आँखें पलकें राहों में कुछ और नहींशरमाती घबराती गोरी इतराती इठलाती जा दिलवालों की दूर पहुँच है ज़ाहिर की औक़ात न देख एक नज़र बख़शिश में दे के लाख सवाब कमाती जाऔर तो फ़ैज़ नहीं कुछ तुझसे ऐ बेहासिल ऐ बेमेहरइंशाजी से नज़में ग़ज़लें गीत कबत लिखवाती जा