मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. चुनाव 2022
  2. विधानसभा चुनाव 2022
  3. खास खबरें
  4. Uttar Pradesh Election 2022 Yogi Adityanath Samajwadi Party Akhilesh Yadav Shivpal Yadav
Written By Author अवनीश कुमार
Last Updated : शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (19:13 IST)

UP Elections 2022 : क्या योगी आदित्यनाथ के लिए नई चुनौती बन सकती है अखिलेश-शिवपाल की जोड़ी? क्या कहते हैं पिछले आंकड़े

UP Elections 2022 : क्या योगी आदित्यनाथ के लिए नई चुनौती बन सकती है अखिलेश-शिवपाल की जोड़ी? क्या कहते हैं पिछले आंकड़े - Uttar Pradesh Election 2022 Yogi Adityanath Samajwadi Party Akhilesh Yadav Shivpal Yadav
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में राजनीतिक लिहाज से समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ा दिन है और आज के दिन लगभग 6 वर्षों के बाद चाचा और भतीजे एक साथ फिर 2022 विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इसकी शुरुआत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कर भी दी है और अपने चाचा शिवपालसिंह यादव से मुलाकात करने के बाद उन्होंने पार्टी के बीच हो रहे गठबंधन की जानकारी भी ट्विटर के माध्यम से दे दी है, लेकिन चाचा और भतीजे का एकसाथ आना बीजेपी की रणनीति को बिगाड़ सकता है।
राजनीतिक जानकार वरिष्ठ पत्रकार अतुल मिश्रा व राजेश श्रीवास्तव की मानें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में भतीजे अखिलेश यादव के साथ चाचा शिवपालसिंह यादव का चल रहा द्वंद के चलते समाजवादी पार्टी को लगभग 60 से 70 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था और बेहद कम वोटों से समाजवादी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था और बीजेपी हारी बाजी जीत गई थी, लेकिन 2017 में चाचा और भतीजे के बीच चल रही धुंध का फायदा बीजेपी को मिला और वहीं समाजवादियों की तैयार की गई रणनीति को धराशाही होकर रह गई थी और विकास के नाम पर चुनाव लड़ रहे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को सरकार से बाहर होना पड़ा था।
इस बार 2017 के बाद से लगातार जमीनी स्तर पर शिवपालसिंह यादव की पार्टी काम कर रही है और 2018 में शिवपालसिंह यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को मैदान में लाकर भी खड़ा कर दिया और प्रदेश स्तर पर संगठन को मजबूत कर दिया है।
इसके चलते चाचा और भतीजे की पार्टी का गठबंधन अन्य दलों के लिए सिरदर्द बन सकता है और सबसे ज्यादा नुकसान सत्ता में काबिज बीजेपी को उठाना पड़ा सकता है। सीधे तौर पर कह सकते हैं कि बीजेपी द्वारा समाजवादी पार्टी को रोकने के लिए तैयार की गई रणनीति को चाचा व भतीजे के होने वाले गठबंधन ने धराशाही कर दिया है और अब बीजेपी को समय रहते चाचा और भतीजी के खिलाफ नए सिरे से चुनावी रणनीति बनानी होगी।
 
आंकड़ों पर एक नजर : शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर 2018 में लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न पर उतरे शिवपाल यादव ने यूपी की 47 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। खुद फिरोजाबाद से चुनाव लड़े।

इस लड़ाई में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव हार गए और भाजपा के प्रत्याशी जीत गए। लोकसभा चुनावों में शिवपाल यादव की पार्टी को सिर्फ 0.3% वोट मिले। हालांकि ज्यादातर जगहों पर शिवपाल ने सपा को नुकसान पहुंचाया। 2017 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से जीते शिवपाल यादव को 63% से ज्यादा वोट मिले थे। सपा 2017 में 311 सीट पर चुनाव लड़ी थी। तब उसे 22% वोट मिले थे।