गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Uttar Pradesh election : Modi, Yogi and Akhilesh Yadav
Written By BBC Hindi
Last Modified: रविवार, 12 दिसंबर 2021 (08:46 IST)

उत्तर प्रदेश: नरेंद्र मोदी-योगी अदित्यनाथ बनाम अखिलेश यादव, विरोधी पर आरोपों की 'चोट' से मिलेंगे वोट?

उत्तर प्रदेश: नरेंद्र मोदी-योगी अदित्यनाथ बनाम अखिलेश यादव, विरोधी पर आरोपों की 'चोट' से मिलेंगे वोट? - Uttar Pradesh election : Modi, Yogi and Akhilesh Yadav
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए कहा, "कुछ लोगों की प्राथमिकता फीता काटना है।" प्रधानमंत्री मोदी ने इशारों में आरोप लगाया कि विरोधी दल सिर्फ़ 'श्रेय लेने की राजनीति करते हैं। ज़मीन पर काम नहीं करते।'
 
प्रधानमंत्री मोदी ने किसी दल का नाम नहीं लिया लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति पर नज़र रखने वालों की राय में उनका हमला पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी विकास को लेकर पहले की सरकारों पर सवाल उठाए।
 
उन्होंने कहा, " वर्ष 1972 में 'सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना' को सहमति मिली थी, लेकिन सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना पूरी नहीं हो पाई। इन सपनों को तब पंख लगे, जब वर्ष 2015 में 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' बनी।" उधर, अखिलेश यादव ने भी शनिवार को सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की।
 
बीजेपी बनाम समाजवादी पार्टी
अखिलेश यादव ने कहा, "बीजेपी जिन परियोजनाओं का उदघाटन कर रही है, उनमें से ज़्यादातर की शुरुआत समाजवादी पार्टी ने की।"
 
ये पहला मौका नहीं है जब भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेता 'विकास के क्रेडिट' की होड़ में हों और एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार कर रहे हों।
 
पिछले मंगलवार (7 दिसंबर) को प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर में थे। तब भी उन्होंने समाजवादी पार्टी का नाम लिए बना ही उस पर तीखा हमला बोला था और आरोप लगाया था, "लाल टोपी वालों को लाल बत्ती से मतलब रहा है। लाल टोपी वालों को सत्ता चाहिए घोटालों के लिए। अपनी तिजोरी भरने के लिए।"
 
मोदी ने कहा, "याद रखिए, लाल टोपी वाले यूपी के लिए रेड अलर्ट हैं यानी ख़तरे की घंटी हैं।"
 
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस पर पलटवार किया और कहा, "भाजपा के लिए 'रेड अलर्ट' है 'लाल टोपी' का क्योंकि वो ही इस बार भाजपा को सत्ता से बाहर करेगी।"
 
उत्तर प्रदेश में जैसे- जैसे विधानसभा चुनाव का वक़्त करीब आ रहा है, वैसे ही इस तरह के दावों, आरोपों और विकास कार्यों का श्रेय लेने का मुक़ाबला बढ़ता जा रहा है।
 
राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि ऐसा बेवजह नहीं हो रहा है। वो मानते हैं कि कई बार 'विरोधी पर आरोप अपनी तारीफ का एक उम्दा तरीका' बन जाते हैं। कम से कम राजनेता यही मानते हैं।
 
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र सिंह कहते हैं, "उत्तर प्रदेश में हालिया महीनों में विपक्षी दल योगी सरकार के कामकाज पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान न सिर्फ़ विपक्षी दलों बल्कि मीडिया ने भी सवाल उठाए। सवाल प्रशासनिक और क़ानून-व्यवस्था जैसे कई और मुद्दों पर भी उठे। लखीमपुर खीरी जैसी घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी तीखी टिप्पणी की।"
 
महेंद्र सिंह आगे कहते हैं, "विपक्ष के हमलों की धार कुंद करने का एक तरीका ये है कि आप भी उन पर आरोप लगाएं।"
 
वो कहते हैं, "2014 के आम चुनाव के प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने यूपी के विकास पर सवाल उठाते हुए '56 इंच के सीने' वाली बात कही थी। उनके उस बयान की काफी चर्चा हुई और बीजेपी के कई नेता मानते हैं कि उनको इसका फायदा भी मिला।"
 
लेकिन, इस बार प्रदेश में समाजवादी पार्टी नहीं बल्कि बीजेपी की सरकार है। अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के नेता नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के हर वार पर पलटवार भी कर रहे हैं।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को बलरामपुर में कहा, "कुछ लोगों की प्राथमिकता फीता काटना है। हम लोगों की प्राथमिकता योजनाओं को समय पर पूरा करना है"
 
अखिलेश यादव ने इसके जवाब में कहा, "बीजेपी जिन परियोजनाओं का उदघाटन कर रही है, उनमें से ज़्यादातर की शुरुआत समाजवादी पार्टी ने की। गोरखपुर एम्स बन नहीं पाता अगर समाजवादी पार्टी ने इसके लिए ज़मीन मुहैया नहीं कराई होती। उत्तर प्रदेश के लोग अब योगी सरकार नहीं योग्य सरकार चाहते हैं।"
 
अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर काम की जगह 'कोरा प्रचार' करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "बीजेपी ने किसानों को सपना दिखाया कि उनकी आय 2022 में दोगुनी हो जाएगी। वो किसान कहां हैं जिनकी आमदनी बढ़ी है?वो परियोजना से ज़्यादा विज्ञापन पर खर्च करते हैं। बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए जाते हैं कि युवाओं को रोजगार मिल रहे हैं, उत्तर प्रदेश में उन्होंने रोजगार कहां दिया है।"
 
वोटर होंगे एकजुट?
समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच बहस सिर्फ़ विकास और रोजगार के मुद्दे पर नहीं हो रही है। क़ानून व्यवस्था और दूसरे मुद्दों को लेकर भी दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रही हैं और आरोप लगा रही हैं।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को समाजवादी पार्टी पर माफ़िया को संरक्षण देने का आरोप लगाया।
 
मोदी ने बलरामपुर में कहा, "पहले जो सरकार में थे, वो माफिया को संरक्षण देते थे। आज योगी जी की सरकार माफिया की सफाई में जुटी है। पहले जो सरकार में थे, वो ज़मीन पर अवैध कब्ज़े करवाते थे। आज ऐसे माफियाओं पर जुर्माना लग रहा है। बुलडोजर चल रहा है"
 
इसके पहले मंगलवार को मोदी ने आरोप लगाया था, "लाल टोपी वालों को सत्ता चाहिए अवैध कब्ज़ों के लिए। माफ़ियाओं को खुली छूट देने के लिए। लाल टोपी वालों को सरकार बनानी है आतंकवादियों पर मेहरबानी दिखाने के लिए। आतंकियों को जेल से छुड़ाने के लिए।"
 
राजनीतिक विश्लेषकों की राय में प्रतीकों का इस्तेमाल करते हुए किए जाने वाले ऐसे सांकेतिक हमले 'समर्थकों को एकजुट' करने में मदद करते हैं।
 
वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सिंह कहते हैं, "समाजवादी का जो आधार रहा है, उनमें अल्पसंख्यक समुदाय यानी मुसलमान अहम रहे हैं। मुझे लगता है कि शायद बीजेपी मानती है कि ऐसे मुद्दे उठाने से हिंदू वोट साथ आएंगे। "
 
हालांकि, अखिलेश यादव भी जवाब देने में पीछे नहीं हैं। वो भी बीजेपी पर जमकर पलटवार कर रहे हैं और विकास से लेकर क़ानून व्यवस्था के मुद्दे पर दोनों सरकारों की तुलना कर रहे हैं।
 
उन्होंने शनिवार को कहा, "समाजवादी पार्टी ने युवाओं को लैपटॉप दिए और बीजेपी ने उन पर लाठी चार्ज किए। एसपी (समाजवादी पार्टी) ने गरीबों को लोहिया आवास दिए और बीजेपी ने लखीमपुर खीरी में किसानों पर गाड़ी चढ़ाई और उनकी जान ली। समाजवादी पार्टी विकास में भरोसा करती है जबकि वो नाम बदलने में यकीन रखते हैं।"
ये भी पढ़ें
जनरल रावत के हेलीकॉप्टर एक्सीडेंट की जांच पर क्यों है दुनिया की नजर