सियासत में सिनेमा की तरह सुनहरी सफलता हासिल नहीं कर पाए धर्मेंद्र
Dharmendras political journey : दशकों तक धर्मेंद्र ने बड़े पर्दे पर राज किया लेकिन 2004 में उन्होंने फिल्म सेट की जगह राजनीतिक रैलियां कीं तथा राजस्थान के बीकानेर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। राजनीति धर्मेंद्र को रास नहीं आई और 5 साल सांसद रहने के बाद धर्मेंद्र ने सियासत से किनारा कर लिया। 2009 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा और हमेशा के लिए मुंबई लौट गए। धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी उत्तर प्रदेश के मथुरा से सांसद हैं। उनके बेटे सनी देओल भी पंजाब के गुरदासपुर सीट से सांसद रह चुके हैं।
बॉलीवुड के ही-मैन के रूप में जाने जाने वाले धर्मेंद्र ने पांच दशक के करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया। 1997 में, उन्हें हिन्दी सिनेमा में उनके योगदान के लिए फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड भी मिला। हिंदी सिनेना के सुपरस्टार धर्मेंद्र ने फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी। धर्मेंद्र ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की। उन्होंने 2004 से 2009 तक राजस्थान में बीकानेर का प्रतिनिधित्व करते हुए संसद के सदस्य के रूप में काम किया।
2004 में अपने चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने एक आक्रामक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उन्हें लोकतंत्र के लिए आवश्यक बुनियादी शिष्टाचार सिखाने के लिए हमेशा के लिए तानाशाह चुना जाना चाहिए, जिसके लिए उनकी कड़ी आलोचना की गई थी। जब सदन का सत्र चल रहा था, तब वे शायद ही कभी संसद में उपस्थित होते थे। यह विषय अक्सर ही मीडिया में चर्चा का कारण बना रहा। इस पर धर्मेंद्र ने एक दिन अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मैं राजनीति में सेवाभाव के लिए आया हूं न कि मैं राजनीति को करियर की तरह देखता हूं। धर्मेंद्र अपना अधिकांश समय फिल्मों की शूटिंग या अपने फार्म हाउस में खेत का काम करने में बिताना पसंद करते थे।
लगे थे लापता के पोस्टर
सांसद बनने के बाद भी राजनीति में धर्मेंद्र का सफर आसान नहीं था। चुनाव जीतने के महज एक साल बाद ही बीकानेर में धर्मेंद्र के 'गुमशुदा' के पोस्टर लग गए। इसकी वजह थी अपने संसदीय क्षेत्र से धर्मेंद्र की दूरी। दरअसल चुनाव जीतने के बाद धर्मेंद्र एक साल तक बीकानेर नहीं गए, जिससे नाराज होकर लोगों ने पूरे शहर में उनके पोस्टर लगा दिए।
इस घटना के कुछ दिन बाद ही धर्मेंद्र ने बीकानेर का दौरा किया और बिना सिक्योरिटी के सर्किट हाउस में रहकर लोगों की समस्याएं सुनीं। बीकानेर के मशहूर सूरसागर को फिर से खूबसूरत बनाने में भी धर्मेंद्र का अहम योगदान था। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सूरसागर की मरम्मत की बात की और बजट कम पड़ने पर केंद्र का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, सूरसागर संवारने का पूरा श्रेय वसुंधरा राजे को मिला और धर्मेंद्र के लिए लोगों की नाराजगी कम नहीं हुई। Edited by : Sudhir Sharma