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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (17:50 IST)

उत्तरप्रदेश में हिंदुत्व और मुफ्त के चुनावी दांव पर भाजपा ओवर कॉन्फिडेंस की शिकार?

उत्तरप्रदेश में हिंदुत्व और मुफ्त के चुनावी दांव पर भाजपा ओवर कॉन्फिडेंस की शिकार? - BJP Over Confidence on Hindutva and Free Election Bets in Uttar Pradesh?
उत्तरप्रदेश भाजपा में चुनाव से पहले सियासी भूचाल आ गया है। लगातार तीन दिन में तीन मंत्रियों के इस्तीफे के बाद से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक भाजपा में हड़कंप मच गया है। विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही उत्तर प्रदेश भाजपा में मची भगदड़ हर कोई हतप्रभ है। लोग हतप्रभ इसलिए भी है क्योंकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से खमोश है। स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान के बाद गुरूवार को  आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाक़ात की है।
 
भाजपा में बगावत का परचम-उत्तरप्रदेश में चुनाव आचार संहिता लगने के बाद अब तक 3 मंत्री और 11 विधायक BJP छोड़ चुके हैं। इनमें कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी के अलावा बदायूं जिले के बिल्सी से विधायक राधा कृष्ण शर्मा, सीतापुर से विधायक राकेश राठौर, बहराइच के नानपारा से विधायक माधुरी वर्मा, संतकबीरनगर से भाजपा विधायक जय चौबे, भगवती सागर, विधायक, बिल्हौर कानपुर, बृजेश प्रजापति, विधायक, विधायक रोशन लाल वर्मा, विधायक विनय शाक्य, विधायक अवतार सिंह भड़ाना, विधायक मुकेश वर्मा, विधायक बाला प्रसाद अवस्थी के नाम शामिल है। 
भगदड़ पर केंद्रीय नेतृत्व की खमोश से हैरानी-उत्तर प्रदेश भाजपा में नेताओं की भगदड़ उस वक्त देखने को मिली जब दिल्ली में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व टिकटों को लेकर मैराथन बैठक कर रहा था। ऐसे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की खमोशी हर किसी को हैरान कर देने वाली है। लखनऊ के सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों से चल रही थी की स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान के साथ दर्जन भर से ज़्यादा महत्वपूर्ण नेता भाजपा छोड़ेंगे, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने ज़रूरत नहीं समझी कि उन्हें रोका जाए।
 
हिंदुत्व और मुफ्त के दांव का ओवर कॉन्फिडेंस?- चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश भाजपा में भगदड़ का सबसे बड़ा कारण पार्टी के बड़े नेताओं का ओवर कॉन्फिडेंस में होना बताया जा रहा है। भाजपा नेताओं का आकलन है कि हिंदुत्व कार्ड के साथ-साथ किसान सम्मान राशि और मुफ्त राशन और मकान आदि उसको चुनाव में जीत दिला देंगे। पार्टी अपने चुनावी प्रचार में मोदी और योगी के चहेरे को आगे रखकर केंद्र और राज्य सरकार की मुफ्त योजनाओं और हिंदुत्व की ही ब्रॉन्डिंग कर रही है। 

उत्तर प्रदेश भाजपा से जुड़े एक बड़े नेता नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि हिंदुत्व के मुद्दे के आगे पार्टी के सभी अन्य मुद्दें गौण है क्यों कि पार्टी को भरोसा है कि हिंदुत्व के आधार पर हुए ध्रुवीकरण का फायदा उसको चुनाव मेंं मिलने जा रहा है। इसलिए वह ऐसे नेताओं का टिकट काटने की तैयारी में है जिनकी पृष्ठिभूमि या चुनावी जीत का गणित पर अल्पसंख्यक समुदाय अपना प्रभाव रखता है। 

वहीं भाजपा का साथ छोड़ने वाले मंत्री और विधायक पिछड़ों की उपेक्षा और शीर्ष नेतृत्व से संवाद नहीं होने का आरोप लगा रहे है। लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि आज भाजपा के दोनों प्रमुख चेहरे मोदी और योगी को इस बात की गलतफहमी हो गई कि चुनाव जीतने के लिए 'हम' ही काफी है। ऐसे में हम का अंहकार अब चुनाव के समय भारी पड़ रहा है।
 
वह कहते हैं कि जब मीडिया कंट्रोल्ड हो और लोगों में जेल जाने अथवा ठोंके जाने का ख़ौफ़ हो कि खुलकर बात न कह सके तब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अपने ही ‘एको चैंबर’ में रहने लगता है,जैसे इमरजेंसी में इंदिरा गांधी के साथ हुआ था तब उसे इस बात की गलतफहमी हो जाती है कि वह पॉपुलर है और ऐसे में उसकी जमीन खिसकने लगती है और उसे पता नहीं चलता। आज उत्तर प्रदेश भाजपा में यही हो रहा है। आज भाजपा वहीं गलती कर रही है जो कांग्रेस कर चुकी है।
 
2014 में जबसे भाजपा केंद्र की सत्ता में आई थी तब से उसे दलित, ओबीसी के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों का महत्व पता था लेकिन अब भाजपा को यह गलतफहमी आ गई है कि सब कुछ हम से ही है। वहीं दूसरी जिसके चलते पार्टी के शीर्ष नेताओं का स्थानीय स्तर पर नेताओं से संवाद खत्म सा हो गया।