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स्वाति सिंह के सामने इतिहास रचने की चुनौती

स्वाति सिंह के सामने इतिहास रचने की चुनौती - Swati Singh, Uttar Pradesh assembly election 2017
सरोजिनी नगर (लखनऊ)। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दयाशंकर सिंह की कथित विवादित टिप्पणी के मामले में बसपा मुखिया मायावती से डटकर सवाल पूछकर सुर्खियों में आने के बाद भाजपा प्रदेश महिला मोर्चे की अध्यक्ष बनीं स्वाति सिंह के सामने आगामी विधानसभा चुनाव में सरोजिनी नगर सीट जीतकर इतिहास रचने की चुनौती है।
 
स्वाति अपने पति दयाशंकर द्वारा मायावती के बारे में कथित असभ्य भाषा का इस्तेमाल किए जाने के बाद हुए घटनाक्रम से एक मजबूत महिला के रूप में उभरी थीं। भाजपा ने इस बार उन्हें उस सरोजिनी नगर सीट से प्रत्याशी बनाया है, जहां से पार्टी कभी नहीं जीती। इस तरह राजनीति में नवागंतुक स्वाति के सामने इतिहास रचने की चुनौती है।
 
स्वाति ने कहा कि मैं तो मायावती के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहती थी, चूंकि वे चुनाव मैदान में नहीं हैं इसलिए मेरी पार्टी ने मुझे सरोजिनी नगर सीट से टिकट दिया है। मैं क्षेत्र में जमकर मेहनत कर रही हूं। 
 
स्वाति ने अपने पति द्वारा की गई टिप्पणी के खिलाफ लखनऊ में हुए बसपा के प्रदर्शन के दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के 'जैसे को तैसा' वाले व्यवहार का कड़ा विरोध करते हुए बसपा प्रमुख मायावती से कई खरे सवाल पूछे थे।
 
उन्होंने पूछा था कि मायावती जिस आरोप में उनके पति को जेल भिजवाना चाहती हैं, वह ठीक उसी तरह की हरकत करने वाले अपने नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अन्य बसपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ वैसी ही कार्रवाई क्यों नहीं करवा रही हैं। मायावती इस तर्क का कोई जवाब नहीं दे पाई थीं।
 
मायावती के खिलाफ संभवत: पहली बार किसी महिला के डटकर सामने खड़े होने से स्वाति को खूब चर्चा मिली थी और भाजपा ने उन्हें अपने महिला मोर्चे की प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। इस तरह एक सामान्य गृहिणी की राजनीतिक पारी शुरू हुई।
 
मायावती के खिलाफ टिप्पणी करने के कारण अपने पति को भाजपा से निकाले जाने के बाद इसी पार्टी से राजनीतिक पारी शुरू किए जाने के सवाल पर स्वाति ने कहा कि वह पहले भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी थीं और अब जो भी है, वह अप्रत्याशित नहीं है।
 
स्वाति की दावेदारी से सरोजिनी नगर सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इस सीट से सपा और भाजपा के बागी भी ताल ठोंक रहे हैं। सपा ने इस सीट से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अनुराग यादव को टिकट दिया है। इस सीट से बागी हुए सपा विधायक एवं मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला भी मैदान में हैं।
 
रद्रदमन सिंह उर्फ बबलू ने भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर बगावत का झंडा उठा लिया है और अब वह शिवसेना के टिकट पर मैदान में हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे बबलू को 41 हजार 333 वोट मिले थे, जो भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र तिवारी को मिले 29 हजार 339 मतों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। (भाषा)