बजट में मनरेगा को मिली कितनी राशि, क्या है कांग्रेस की नाराजगी की वजह?
Niramala Sitharaman Budget : कांग्रेस ने मनरेगा का बजट स्थिर रखने को लेकर रविवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इससे ग्रामीण आजीविका के प्रति उसकी उदासीनता उजागर होती है। ग्रामीण रोजगार पर केंद्रित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण विकास योजना (मनरेगा) के लिए 86,000 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई है, जो पिछले वर्ष के समान है।
ALSO READ: Union Budget 2025 : बजट में आयकरदाताओं को राहत पर जयराम रमेश ने दिया यह बयान...
बजट दस्तावेज के अनुसार, 2023-24 में मनरेगा के लिए 60,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, लेकिन अतिरिक्त धनराशि प्रदान की गई और वास्तविक व्यय 89,153.71 करोड़ रुपये रहा। 2024-25 में मनरेगा के लिए कोई अतिरिक्त आवंटन नहीं किया गया।
रमेश ने कहा कि ऊपर से चोट पर नमक छिड़कने के लिए, अनुमान बताते हैं कि बजट का लगभग 20 प्रतिशत पिछले वर्षों के बकाए को चुकाने के लिए खर्च किया जाता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह प्रभावी रूप से मनरेगा की पहुंच को कम कर देता है, जिससे सूखा प्रभावित और गरीब ग्रामीण श्रमिक अधर में ही रह गए हैं। यह श्रमिकों को दिए जाने वाले वेतन में किसी भी वृद्धि को रोकता है।
रमेश ने लिखा कि इस चालू वित्तीय वर्ष में भी, न्यूनतम औसत अधिसूचित मजदूरी दर में केवल सात प्रतिशत की वृद्धि की गई। यह ऐसे समय में है जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत होने का अनुमान है। इसलिए, मनरेगा राष्ट्रीय वेतन में जो ठहराव का संकट है उसका आधार बन गया है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि इस महत्वपूर्ण सुरक्षा तंत्र के प्रति सरकार की उपेक्षा, ग्रामीण आजीविका के प्रति उसकी उदासीनता को उजागर करती है। मनरेगा के तहत हर परिवार के कम से कम एक सदस्य को वित्तीय वर्ष में 100 दिन की मज़दूरी की गारंटी दी जाती है।
पिछले बजट दस्तावेजों के अनुसार, कोविड महामारी के समय 2020-21 में लॉकडाउन के दौरान लोगों के अपने-अपने घरों को लौटने के समय ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा एक जीवन रेखा साबित हुई। इस दौरान इस योजना पर 1,11,169 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
edited by : Nrapendra Gupta