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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मलेरिया रोग के विरुद्ध लड़ाई में बच्चों के लिए एक नई वैक्सीन को इस्तेमाल में लाए जाने मंज़ूरी दी है, जोकि संगठन की स्वीकृति पाने वाला दूसरा टीका है। पहले टीके की उपलब्धता सीमित साबित हुई है, मगर अब उम्मीद जताई गई है कि दूसरी वैक्सीन की कम क़ीमत और सरल सुलभता से बच्चों को जल्द सुरक्षा चक्र के दायरे में लाया जा सकेगा।
मलेरिया, जीवन के लिए घातक साबित हो सकने वाली एक बीमारी है, जोकि कुछ प्रकार के मच्छरों से मनुष्यों में फैलती है। मुख्यत: इसके मामले उष्णकटिबन्धीय देशों में सामने आते हैं और इसकी रोकथाम व इलाज सम्भव है। इसके मामूली लक्षणों में बुखार, कंपकंपी और सिरदर्द हैं, जबकि गम्भीर हालत होने पर सांस लेने में दिक़्कत, दौरे, थकान समेत अन्य लक्षण देखे जाते हैं।
ब्रिटेन की ऑक्सफ़र्ड युनिवर्सिटी ने R21/Matrix-M नामक इस वैक्सीन को विकसित किया है। और मलेरिया पर पार पाने के लिए यह दूसरी वैक्सीन है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस्तेमाल में लाने की सिफ़ारिश की है।
इससे पहले, WHO ने वर्ष 2021 में RTS,S/AS01 नामक टीके को स्वीकृति दी थी। मलेरिया एक विशाल स्वास्थ्य चुनौती है और वर्ष 2021 में विश्व की लगभग आधी आबादी पर इस रोग का जोखिम था। इसी वर्ष दुनिया भर में, मलेरिया के 25 करोड़ से अधिक मामले दर्ज किए गए।
स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मलेरिया के कारण अफ़्रीकी क्षेत्रों में बच्चों के स्वास्थ्य पर बड़ा बोझ है, और हर साल लगभग पाँच लाख बच्चों की मौत होती है। यूएन एजेंसी ने कहा कि दोनों टीके, बच्चों में मलेरिया की रोकथाम के लिए कारगर व सुरक्षित हैं, और जब उन्हें वृहद स्तर पर अमल में लाया जाएगा, तो उनका सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा असर होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि मलेरिया पर शोधकर्ता होने के नाते, वो सपना देखते थे कि एक सुरक्षित व कारगर वैक्सीन कब उपलब्ध होगी। 2021 में मलेरिया के कारण छह लाख 19 हज़ार से अधिक लोगों की मौत होने का अनुमान है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अफ़्रीकी क्षेत्र में स्वास्थ्य प्रणाली के लिए मलेरिया एक बड़ा बोझ है।
2021 में विश्व भर में मलेरिया के कुल दर्ज मामलों में 95 प्रतिशत मामले इस क्षेत्र में सामने आए, और कुल 96 फ़ीसदी मौतें यहां हुईं। मलेरिया के टीकों के लिए मांग, विशाल स्तर पर है, लेकिन RTSS टीके कम संख्या में ही उपलब्ध हैं। अब R21 को स्वीकृति मिल जाने के बाद उम्मीद व्यक्त की गई है कि मलेरिया से प्रभावित इलाक़ों में रहने वाले बच्चों को इसका लाभ मिल सकेगा।
यूएन एजेंसी के महानिदेशक के अनुसार, इस महत्वपूर्ण, अतिरिक्त औज़ार से बच्चों को जल्द सुरक्षा चक्र के दायरे में लाना और मलेरिया-मुक्त भविष्य की ओर बढ़ना सम्भव होगा। इस वैक्सीन को बुरकिना फ़ासो, घाना और नाइजीरिया समेत कुछ अफ़्रीकी देश में वर्ष 2024 के आरम्भ में मुहैया कराए जाने की योजना है, जबकि साल के मध्य तक यह अन्य देशों में भी मिल सकेगी। इस टीके की ख़ुराक की क़ीमत दो से चार डॉलर के बीच होने का अनुमान है।
Credit: UN News Hindi