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जन्माष्टमी पर कविता: नन्द के ललना मंद-मंद मुस्काए

जन्माष्टमी पर कविता: नन्द के ललना मंद-मंद मुस्काए - poem on Janmashtami
नन्द के ललना मंद-मंद मुस्काए
यशोदा मइया पलना झुलाए
 
पलना झुलाए मइया पलना झुलाए
ललना को देख मन ही मन मुस्काए
 
नन्द के ललना मंद-मंद मुस्काए
यशोदा मइया पलना झुलाए
 
शिखा पे मुकुट सोहे कमर करधनिया
काला काला कजरा सोहे
 
जुल्मी नयनवा
मथवा पे लगा टीका देखो
 
नजर से बचाए
यशोदा मइया पलना झुलाए
 
पलना में झूले ललन खूब मुसकाए
हंथवा उठाए और अंखिया नचाए
 
मिश्री भी खाए माटी भी खाए
मुंह खोले ब्राह्मांड दिखावें
 
नन्द के लालना मंद-मंद मुस्काए
यशोदा मइया पलना झुलाए।
 
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