हरी मिर्ची लाल मिर्ची' में मौका बड़ी उपलब्धि....'- नीरू बाजवा
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राजीव सारस्वत लगभग साढ़े तीन साल पहले जब नीरू बाजवा अभिनेत्री बनने का सपना लेकर कनाडा से मुंबई पहुँची थी तो किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतनी जल्दी हर भारतीय घर की सदस्य बन जाएँगी। लेकिन महज साढ़े तीन साल के अंदर ही वह एक चर्चित अदाकारा बन चुकी हैं। इन दिनों वह दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर हर गुरूवार रात नौ बजे प्रसारित हो रहे राकेश चौधरी के धारावाहिक 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' में रिंकू का हास्य चरित्र निभाकर चर्चाएँ बटोर रही हैं। पिछले दिनों 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' के ही सेट पर उनसे लंबी बातचीत हुई.....अपनी अब तक की अभिनय यात्रा पर रोशनी डालेंगी? -
मेरे माता-पिता अप्रवासी भारतीय हैं। मेरा जन्म, मेरी शिक्षा-दिक्षा कनाडा में हुई है। मैं बचपन से ही हिंदी फिल्मों में अभिनय करने का सपना देखती आ रही हूँ, मैं हर दिन कम से कम चार-पाँच हिंदी फिल्में देख लेती थी। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए मैं साढ़े तीन साल पहले कनाडा से मुंबई पहुँची थी और मुझे सबसे पहले अजय सिन्हा ने जी टीवी पर प्रसारित हुए धारावाहिक 'अस्तित्व : एक प्रेम कहानी' में किरण का किरदार निभाने का मौका दिया था, जो कि बहुत ही लोकप्रिय किरदार था। लेकिन इसके बाद कहानी में कुछ ऐसा बदलाव के कारण मैंने इस किरदार को छोड़ दिया। उसके बाद एक पंजाबी फिल्म में अभिनय किया। इसके अलावा छोटे परदे पर 'जीत', 'गन एंड रोजेस', 'करीना-करीना', 'सीआईडी', 'आहट', 'मिली' जैसे कई धारावाहिकों में अभिनय किया। इतना ही नहीं 'नच बलिए' में भी मैं व अमित साथ प्रतियोगी थे। इन दिनों दर्शक मुझे 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' में रिंकू का चरित्र निभाते हुए देख रहे हैं। '
हरी मिर्ची लाल मिर्ची' से जुड़ना कैसे संभव हुआ?-
बस! मुझे अचानक ही इस किरदार के लिए बुलाया गया और किरदार इतना अच्छा था कि मैंने भी तुरंत हाँ कर दी। अब मुझे लगता है कि मुझे एक बेहतरीन मौका मिला है। यदि मैं किसी कारणवश 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' से न जुड़ती तो मैं अपनी अभिनय क्षमता को निखारने का बेहतरीन मौका खो देती। इस धारावाहिक से जुड़ना भी एक कहानी से कम नहीं है। धारावाहिक के निर्माता और रचनात्मक निर्देशक राकेश चौधरी ने मुझे 'अस्तित्व : एक प्रेम कहानी' में किरण के किरदार में देखा था और उन्हें उसी लड़की को 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' में लेना था। लेकिन जब 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' की योजना बनी, उस वक्त तक मैं इस किरदार को छोड़ चुकी थी और नई लड़की इस किरदार के साथ जुड़ चुकी थी।राकेशजी ने अजय सिन्हा से पूछा कि किरण का किरदार कौन निभा रहा है? तो अजय सिन्हा ने उस वक्त जो लड़की इस किरदार को निभा रही थी उसका नाम बता दिया। राकेशजी ने बिना उससे मिले उस लड़की के साथ अपने इस धारावाहिक के साथ जुड़ने की बातचीत करते रहे। परकिन्हीं कारणों से बात जमी नहीं। एक दिन वह 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' के निर्देशक राजेश गुप्ता के साथ कहीं जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में 'नच बलिए' का बैनर नजर आया। जिसे देखकर मेरी तस्वीर की तरफ इशारा करते हुए राकेशजी ने राजेश गुप्ता से कहा- 'देखो, राजेश यह लड़की कितनी अच्छी है। मैं इसे 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' में लेना चाह रहा हूँ पर बात बन नहीं रही है, तो 'राजेश जी ने कहा- 'सर जी, आप नाम गलत बता रहे हैं। इसका नाम तो नीरू बाजवा है।' उसके बाद राकेशजी ने मुझे फोन किया और एक ही दिन में बात तय हो गई। 'हरी मिर्ची लाल मिर्ची' महज छह एपीसोड के बाद ही सर्वोच्च शिखर पर पहुँच गया है। इसकी लोकप्रियता के चलते मुझे भी दो फिल्मों का ऑफर मिल गया है।इस धारावाहिक में आपका किरदार क्या है? -
मैं इस किरदार में रोहन की दूसरी पत्नी रिंकू का किरदार निभा रही हूँ जो कि हमेशा अपने पति को तंग करती रहती है। रिंकू को अपने पति रोहन की पहली पत्नी रितु से बहुत नफरत हैं। रिंकू बहुत मतलबी है, चुलबुली है, सदा तू-तू मैं-मैं करती रहती है। आप निजी जिंदगी में रिंकू के कितना करीब हैं?-
बिलकुल नहीं हूँ और होना भी नहीं चाहती। मैं रिंकू की तरह कभी भी नहीं हो सकती। रिंकू और मुझमें सिर्फ एक समानता है कि मेरी तरह रिंकू भी हमेशा हँसती रहती है। इसमें आपके साथ शालिनी कपूर भी हैं तो किसका किरदार ज्यादा महत्वपूर्ण है? -
दोनों ही किरदार एक जैसे हैं। इसमें कोई भी किरदार बड़ा या छोटा नहीं हैं। राकेश चौधरी ने रितु और रिंकू को समान रूप से पेश किया है। इसमें रितू या रिंकू में से कोई भी निगेटिव नहीं है। यह तो हास्य धारावाहिक है। इसमें हास्य घटनाक्रम हैं और हास्य चरित्र हैं। यह आपका पहला हास्य धारावाहिक है?-
जी हाँ! यह मेरा पहला हास्य धारावाहिक है। मैं न सिर्फ पहली बार किसी हास्य चरित्र को निभा रही हूँ बल्कि राकेश चौधरी जैसे बेहतरीन सर्जक की बेहतरीन यूनिट के साथ पहली बार काम कर रही हूँ और इन्ज्वॉय कर रही हूँ। राकेश चौधरी जी से आपकी कितनी मुलाकातें हुईं?-
उनसे अब तक मैं सिर्फ चार बार मिली हूँ लेकिन उनके जैसा समझदार, गुणी इंसान मिलना मुश्किल हैं। वह काफी विनम्र हैं लेकिन उन्हें इस माध्यम की काफी अच्छी समझ हैं, वह एक बेहतरीन निर्माता व निर्देशक हैं। इस बात को वह इससे पहले कई पुरस्कार जीत कर साबित कर चुके हैं। सेट पर हमेशा पारिवारिक माहौल होता हैं। कहीं कोई इगो प्रॉब्लम नहीं। आपको 'नच बलिए' से क्या फायदा हुआ? - '
नच बलिए' से जुड़ने के बहुत अच्छे अनुभव रहे। इस कार्यक्रम के कारण लोगों ने मुझे मेरे नाम से पहचानना शुरू किया। अन्यथा लोग मुझे मेरे द्वारा निभाए गए चरित्रों से ही पहचानते थे।