दो सहेलियाँ की मैथिली : सुलग्ना पाणिग्रही
उड़ीसा की रहने वाली सुलग्ना पाणिग्रही जी टीवी पर मार्च में आने वाले नए धारावाहिक ‘दो सहेलियाँ : किस्मत की कठपुतलियाँ’ में लीड रोल कर रही हैं। वे मैथिली बनी हैं जो दोनों सहेलियों में से अमीर हैं। शूटिंग के दौरान वे राजस्थान में धूप में पसीना बहा रही थी और अपने किरदार में डूबी हुई थी। उसी दौरान उनसे बातचीत हुई। पेश है इसके मुख्य अंश :
अपने बारे में बताइए। उड़ीसा की रहने वाली हूँ। मेरे पिता आर्मी में हैं इसलिए भारत के कई शहरों में रहने का अवसर मिला। अभिनय का शौक बचपन से ही है। कुछ धारावाहिकों में काम किया। जब ‘दो सहेलियाँ’ के बारे में पता चला तो ऑडिशन दिया और चयन हो गया। अपने किरदारों के बारे में बताइए।मैं अमीर और ऊँची जाति की मैथिली का चरित्र निभा रही हूँ। मैथिली की हर बात उसके परिवार वाले मानते हैं, लेकिन भवरी से उसकी दोस्ती को वे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। मैथिली विरोध के बावजूद भवरी से दोस्ती नहीं तोड़ती है। आमतौर पर फिल्म और टीवी में दोस्ती के नाम पर लड़कों को ही दोस्त दिखाया जाता है। सहेलियों पर कम धारावाहिक या फिल्में बनी हैं। इस बारे में आपका क्या कहना है? सहेलियों की कहानी इस सीरियल की विशेषता है। टीवी पर लड़कों की दोस्ती देखना ज्यादा लोग पसंद नहीं करते क्योंकि टीवी पर महिला दर्शकों की संख्या ज्यादा है। रील लाइफ में आप दोनों अच्छी सहेलियों के पात्र अदा कर रही हैं। रियल लाइफ में आपके बीच कैसी दोस्ती है? अंकिता बेहद अच्छी इंसान हैं। शानदार अभिनेत्री हैं और हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो चुकी है। जातिप्रथा को धारावाहिक में दिखाया गया है। क्या यह विषय पुराना नहीं है?गाँव में अभी भी पुरानी सोच है। शूटिंग के दौरान हमें कई ग्रामीणों ने पूछा कि आपकी शादी अब तक क्यों नहीं हुई या बिना माता-पिता के अकेले यहाँ क्यों हैं? इन दिनों टीवी पर ग्रामीण पृष्ठभूमि आधारित ज्यादा धारावाहिक क्यों नजर आ रहे हैं? मेरा मानना है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित कार्यक्रमों को शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के दर्शक पसंद करते हैं। जबकि मेट्रो शहर पर आधारित कार्यक्रम देखने में ज्यादा लोगों की रूचि नहीं होती है। राजस्थान में बोली जाने वाली भाषा में बात करते हुए आपको दिखाया गया है। आपने ये कहाँ से सीखी? सेट पर हमारी कई लोगों ने सहायता की। क्या आप फिल्मों में भी काम करना पसंद करेंगी? ऑफर पर निर्भर करता है।