केवल 5-10 मिनट बाद मैं अपने ऑफिस पहुँचा और गेट पर बगैर पीछे मुड़े मैंने अपने वाहन से सड़क पार करना चाही और मैं अन्य दोपहिया वाहन से टकरा गया। वाहन थोड़ा सा क्षतिग्रस्त हुआ और मुझे उसी बच्ची का चेहरा याद आ गया जिसे मैं समझाकर आया था। मानो कह रही हो मैं तो केवल मेरे माध्यम से आपको समझाना चाह रही थी कि सड़क दोनों ओर देखकर पार करनी चाहिए लेकिन आप ही उसमें चूक कर गए। तो ऐसी छोटी-छोटी घटनाएँ और पात्र आपके जीवन में गुरु का काम करते हैं उनकी अनदेखी न करते हुए उनसे सीख लें, जीवन में जरूर काम आएँगी।