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Last Updated : शुक्रवार, 3 सितम्बर 2021 (19:54 IST)

पैरालंपियन मेडलिस्ट पहुंचे भारत, स्वागत में सुमित के लिए दिखी सबसे ज्यादा दिवानगी (वीडियो)

पैरालंपियन मेडलिस्ट पहुंचे भारत, स्वागत में सुमित के लिए दिखी सबसे ज्यादा दिवानगी (वीडियो) - Tokyo Paralympians received rousing welcome after returning to India
नई दिल्ली:स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक एथलीट सुमित अंतिल सहित चार भारतीय पैरा खिलाड़ी शुक्रवार को स्वदेश लौटे और उनका इतना जोरदार स्वागत हुआ कि उनके समर्थकों और मीडिया में यहां हवाईअड्डे पर उनकी एक झलक लेने के लिये धक्का-मुक्की भी हो गयी।

इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर ऐसा अराजक दृश्य देखने को मिला जिसमें खेल प्रेमियों और मीडियाकर्मियों ने इन चार पैरा खिलाड़ियों विशेषकर सुमित को देखने और बात करने के लिये कोविड-19 प्रोटोकॉल की अवहेलना की।


सुमित के अलावा तीन बार के पैरालंपिक पदक विजेता भाला फेंक एथलीट देवेंद्र झाझरिया, चक्का फेंक एथलीट योगेश कथूनिया और ऊंची कूद एथलीट शरद कुमार का भी गर्मजोशी से स्वागत किया गया। झाझरिया ने इस बार रजत पदक जीता है। कथूनिया ने भी रजत और शरद ने कांस्य पदक जीता है।

भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने ट्वीट में लिखा, ‘‘हमारे चैम्पियन स्वदेश लौट आये हैं और पहुंचने पर बहुत खुश हैं। सुमित, झाझरिया, कथूनिया और शरद के लिये शुभकामनाओं की बारिश हो रही है। ’’
साइ अधिकारियों ने चारों खिलाड़ियों का पहुंचने पर फूल माला पहनाकर और फूलों का गुलदस्ता भेंटकर स्वागत किया।

खिलाड़ियों ने अपने पदकों के साथ हवाईअड्डे के अंदर फोटो भी खिंचवाई और उनके प्रशंसक तिरंगा लहरा रहे थे जिनमें से कुछ ढोल भी बजा रहे थे।

हालांकि इनमें से ज्यादातर मास्क के बिना थे और वे इन चारों को फूल माला पहनाने के लिये एक दूसरे से धक्का-मुक्की कर रहे थे। वहीं हवाईअड्डे से बाहर निकलते ही मीडियाकर्मी भी उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिये जूझ रहे थे।

सुमित (23) ने एफ64 क्लास में पांच बार अपने ही विश्व रिकॉर्ड को तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता जबकि दो बार के स्वर्ण पदक विजेता झाझरिया ने एफ46 वर्ग में रजत पदक जीता।

हरियाणा के सोनीपत के 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका जो दिन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और एक नया विश्व रिकॉर्ड था। 2015 में मोटरबाइक दुर्घटना में उन्होंने बायां पैर घुटने के नीचे से गंवा दिया था, बल्कि उन्होंने 62.88 मीटर के अपने ही पिछले विश्व रिकॉर्ड को दिन में पांच बार बेहतर किया। हालांकि उनका अंतिम थ्रो ‘फाउल’ रहा। उनके थ्रो की सीरीज 66.95, 68.08, 65.27, 66.71, 68.55 और फाउल रही।

एथेंस (2004) और रियो (2016) में स्वर्ण पदक जीतने वाले 40 वर्षीय झाझरिया ने एफ46 वर्ग में 64.35 मीटर भाला फेंककर अपना पिछला रिकार्ड तोड़ा।

कथूनिया ने पुरुषों के चक्का फेंक के एफ56 स्पर्धा में रजत पदक जीता था। दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से बी कॉम करने वाले 24 वर्षीय कथूनिया ने अपने छठे और आखिरी प्रयास में 44.38 मीटर चक्का फेंककर रजत पदक जीता। शरद ने टी42 ऊंची कूद में कांस्य पदक जीता।

भारत ने दो स्वर्ण सहित अभी तक कुल 12 पदक जीत लिये हैं। यह पहली बार है जब पैरालंपिक में देश के खिलाड़ियों ने पदकों में दोहरे अंक को पार किया।

खेल मंत्री ने पैरालम्पिक के पदक विजेताओं को सम्मानित किया

केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को टोक्यो पैरालंपिक खेलों के पदक विजेताओं को सम्मानित करते हुए कहा है कि पूरा भारत हमारे पैरालंपिक खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन से खुश है और पैरालंपिक खिलाड़ी भारत का गौरव हैं।

ठाकुर और युवा मामले और खेल राज्य मंत्री निसिथ प्रामाणिक ने यहाँ पैरा ओलंपिक खिलाड़ी स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल , रजत पदक विजेता देवेंद्र झाझरिया और योगेश कथूनिया और कांस्य पदक विजेता शरद कुमार को सम्मानित किया।

इस अवसर पर ठाकुर ने कहा कि "भारतीय पैरा-एथलीटों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने न केवल देश को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह साहस भी दिया है कि हर सपना हासिल किया जा सकता है। टोक्यो पैरालिंपिक में भारत ने अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा था और यह टीम अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए पदकों की संख्या को दोहरे अंकों में ले गयी है। पैरा-एथलीट आज सभी के लिए प्रेरणा हैं। "

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह से खेलों में रुचि ली है और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है, उससे हमारे खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित हुए हैं। ठाकुर ने कहा " अंतिल ने भाला फेंक स्पर्धा में न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता बल्कि विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। वहीं झाझरिया ने 64.35 के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक हासिल किया। पैरालंपिक खेलों में यह उनका तीसरा पदक था। कथूनिया ने चक्का फेंक स्पर्धा में रजत और कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद में कांस्य पदक जीता। ये सभी लाखों लोगों के लिए आदर्श बन गए हैं।"

खेल मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए खिलाड़ियों की मदद करने में सरकार के दृष्टिकोण में एक परिवर्तनकारी बदलाव आया है। सरकार भारत के पैरालंपिक खिलाड़ियों की सुविधाओं और वित्त पोषण के साथ मदद करना जारी रखेगी ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें।

उन्होंने कहा कि मेजर ध्यानचंद को इससे बड़ी कोई और श्रद्धांजलि नहीं हो सकती कि हमारे पैरा-एथलीटों ने राष्ट्रीय खेल दिवस पर चार पदक जीते। ठाकुर ने निशानेबाज अवनि लेखड़ा के प्रदर्शन को लेकर कहा कि एक पैरालंपिक में दो पदक जीतना उल्लेखनीय है और पूरे देश को उन पर गर्व है।