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Written By WD Sports Desk
Last Updated : शनिवार, 27 जनवरी 2024 (15:58 IST)

रोहन बोपन्ना व जोशना चिनप्पा सहित 7 खिलाड़ियों को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना

पद्म सम्मान पाने वालों में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता, ग्रैंडस्लैम विजेता, मलखम्ब दिग्गज शामिल

रोहन बोपन्ना व जोशना चिनप्पा सहित 7 खिलाड़ियों को पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना - Padma Awards winners, Olympic gold medallist, Grand Slam-winner, Mallakhamb flagbearer sportspersons
Padma Shri awards Sportspersons : तीन बार के ओलंपिक पदक विजेता (Olympic Medalist), मौजूदा पीढी के दो महान खिलाड़ी, मलखम्ब (Mallakhamb) के पुरोधा उन खिलाड़ियों में शामिल हैं जिन्हें इस साल खेलों में उनके योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान (Padma Shri) से नवाजा जाएगा ।
 
खेल के क्षेत्र में देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले सात विजेताओं का संक्षेप में परिचय इस प्रकार है ।
 
हरबिंदर सिंह (हॉकी) : पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी, कोच , प्रशासक और सरकारी पर्यवेक्षक । अस्सी बरस के हरबिंदर सिंह (Harbinder Singh) ने हर भूमिका के साथ न्याय किया है । पाकिस्तान के क्वेटा में जन्मे हरबिंदर 1964 तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक (Tokyo Olympics Gold Medalits) जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे । उन्होंने 1968 और 1972 ओलंपिक में भी कांस्य पदक जीते ।
 
सेंटर फॉरवर्ड रहे हरबिंदर ने 1966 Asian Games में Gold और 1970 में Silver Medal जीता था । उन्होंने PTI से कहा ,‘‘ पुरस्कार पाने से बेहतर क्या होगा । मेरे लिए यह बहुत मायने रखता है । मैं छह दशक से Hockey से जुड़ा हूं । बतौर खिलाड़ी,चयनकर्ता, कोच , प्रशासक और सरकारी पर्यवेक्षक । मैने 1961 में खेलना शुरू किया था । हॉकी ही मेरी पहचान है ।’’
 
जोशना चिनप्पा (स्क्वाश) : जोशना भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला स्क्वाश खिलाड़ियों में से है । पिछले बीस साल से खेल रही जोशना की फिटनेस कमाल की है और उनका अभी संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है ।
 
37 वर्ष की जोशना (Joshna Chinappa) ने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में खिताब जीते और विश्व रैंकिंग में शीर्ष दस में पहुंची । दीपिका पल्लीकल (Dipika Pallikal) के साथ उन्होंने 2022 विश्व युगल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था ।
 
उन्होंने कहा ,‘‘ यह बड़ा सम्मान है । मेरे जीवन में कुछ भी बहुत जल्दी या बहुत देर से नहीं मिला । 2013 में अर्जुन पुरस्कार मिला और अब पद्मश्री । इससे मेरा मनोबल बहुत बढेगा ।’’
 
रोहन बोपन्ना (टेनिस) : आस्ट्रेलियाई ओपन (Australian Open) पुरूष युगल फाइनल में पहुंचे रोहन बोपन्ना (Rohan Bopanna) अपना दूसरा ग्रैंडस्लैम जीतने से एक जीत दूर हैं । इसके साथ ही सोमवार को वह विश्व युगल रैंकिंग में शीर्ष पर काबिज हो जायेंगे और 43 वर्ष की उम्र में यह श्रेय हासिल करने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बनेंगे ।
 
बोपन्ना ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले चौथे भारतीय हैं । उन्होंने 2017 में कनाडा की गैब्रियला डाब्रोवस्की के साथ फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल खिताब जीता था।
 
उदय विश्वनाथ देशपांडे (मलखम्ब) : Uday Vishwanath Deshpande को मलखम्ब के प्रसार का श्रेय जाता है जिसमें जिम्नास्ट एक सीधे खंभे पर हवाई योग और जिम्नास्टिक का मिला जुला रूप पेश करते हैं । महाराष्ट्र के रहने वाले देशपांडे इस खेल को आम लोगों के बीच ले गए जिनमें महिलायें, अनाथ, दिव्यांग और दृष्टिबाधित शामिल है ।
 
उन्होंने कहा ,‘‘ यह सिर्फ मेरा सम्मान नहीं है । यह मलखम्ब खेल के लिये क्रांतिकारी फैसला है जिसे बरसों से केंद्र सरकार से खेल के रूप में मान्यता नहीं मिली थी । अब सरकार अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य और पद्मश्री भी दे रही है ।’’
 
Satendra Singh Lohiya  (पैरा तैराक) : मध्यप्रदेश के भिंड जिले के छोटे से गांव से निकले लोहिया बचपन में किसी अपंगता का शिकार नहीं थे लेकिन एक पखवाड़े के बाद वह दोनों पैरों से 70 प्रतिशत अपाहिज हो गए । इसके बावजूद वह भारत की उस रिले टीम का हिस्सा थे जिसने 2018 में नये रिकॉर्ड के साथ इंग्लिश चैनल पार किया ।
 
उन्होंने कहा ,‘‘ मैं अपने जज्बात को शब्दों में बयां नहीं कर सकता । अगर मेरे जैसा छोटे गांव से निकला कोई इंसान कड़ी मेहनत कर सकता है और सरकार उसे सम्मान देती है तो कोई भी कुछ भी उपलब्धि हासिल करने में सक्षम है ।’’
 
पूर्णिमा महतो (तीरंदाजी कोच) : जमशेदपुर की रहने वाली Purnima Mahato 1994 से कोच हैं । वह लगातार तीन ओलंपिक 2008, 2012 और 2016 में भारतीय रिकर्व टीम की कोच रही । उन्होंने कहा ,‘‘ मेरे लिये यह सम्मान हैरानी की बात है । जमशेदपुर में छोटे से गांव बिरसानगर से निकलकर पद्मश्री पाना सपने जैसा है ।’’
 
गौरव खन्ना (पैरा बैडमिंटन कोच) : पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी Gaurav Khanna को प्रमोद भगत, पारूल परमार , पलक कोहली और मनोज कुमार जैसे देश के सर्वश्रेष्ठ पैरा बैडमिंटन खिलाड़ियों को निखारने का श्रेय जाता है ।
 
घुटने की चोट के कारण बतौर खिलाड़ी कैरियर खत्म होने के बाद वह कोच बने । उन्होंने कहा ,‘‘ यह किसी के लिये भी लाइफटाइम अचीवमेंट है । सरकार से सम्मान मिलना फख्र की बात है ।’’
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