टोक्यो पैरालंपिक में भारत का सफर शानदार जा रहा है।टोक्यो ओलंपिक में मरियप्पन थांगवेलु और शरद कुमार ने ऊंची कूद में 2 मेडल लेकर भारत की पदक तालिका दोहरे आंकड़े तक पहुंचा दी है।
दिलचस्प बात यह है कि रियो ओलंपिक में भी दो टी-63 वर्ग में भारत दो मेडल जीता था। इनमें से मरियप्पन एक थे। पैरालंपिक में 2 मेडल जीतने वाले मरियप्पन भारत के दूसरे ऐसे पैरा एथलीट बन गए हैं जिन्होंने 2 बार पैरालंपिक में भारत के लिए मेडल जीते हैं।
मरियप्पन ने 1.86 मीटर के प्रयास के साथ रजत पदक अपने नाम किया जबकि अमेरिका के सैम ग्रेव ने अपने तीसरे प्रयास में 1.88 मीटर की कूद के साथ सोने का तमगा जीता।
शरद ने 1.83 मीटर के प्रयास के साथ कांस्य पदक जीता।स्पर्धा में हिस्सा ले रहे तीसरे भारत और रियो 2016 पैरालंपिक के कांस्य पदक विजेता वरूण सिंह भाटी नौ प्रतिभागियों में सातवें स्थान पर रहे। वह 1.77 मीटर की कूद लगाने में नाकाम रहे।
टी42 वर्ग में उन खिलाड़ियों को रखा जाता है जिनके पैर में समस्या है, पैर की लंबाई में अंतर है, मांसपेशियों की ताकत और पैर की मूवमेंट में समस्या है। इस वर्ग में खिलाड़ी खड़े होकर प्रतिस्पर्धा पेश करते हैं।
इससे पहले मरियप्पन इस टोक्यो ओलंपिक में भारत के ध्वजवाहक थे लेकिन फ्लाइट में कोरोना संक्रमित मरीज के दायरे में आने पर यह जिम्मेदारी डिस्कस थ्रो खिलाड़ी टेक चंद को दी थी।
बारिश के कारण अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर सका : मरियप्पनमरियप्पन थंगावेलु ने मंगलवार को कहा कि बारिश के कारण वह पैरालम्पिक में लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक नहीं जीत सके क्योंकि मोजे गीले होने की वजह से वह टी42 स्पर्धा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाये।
एक बार 1 . 86 मीटर की कूद लगाने के बाद मरियप्पन और सैम ग्रेव दोनों को 1 . 88 मीटर कूदने में परेशानी आई लेकिन अमेरिकी खिलाड़ी ने आखिरी प्रयास में कामयाबी हासिल करके स्वर्ण जीता। मरियप्पन को रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा।
तमिलनाडु के सेलम जिले के पेरियावाडागामपट्टी गांव के रहने वाले मरियप्पन ने रियो पैरालम्पिक में 1 . 89 मीटर की कूद लगाकर स्वर्ण पदक जीता था।
उन्होंने पदक जीतने के बाद कहा , मैं विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीत सकता था। मैं उसी लक्ष्य के साथ यहां आया था लेकिन बारिश से सब गड़बड़ हो गई । शुरूआत में बूंदाबांदी हो रही थी लेकिन 1 . 80 मीटर मार्क के बाद तेज होने लगी। मेरे दूसरे पैर (दाहिना पैर) का मोजा गीला हो गया और कूदना मुश्किल हो गया था।
उन्होंने कहा , रियो में मौसम अच्छा था और मैने स्वर्ण पदक जीता । अब मैं 2024 में पेरिस में स्वर्ण जीतने की कोशिश करूंगा।
उनके कोच और राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स के अध्यक्ष सत्यनारायण ने कहा कि मरियप्पन अभ्यास के दौरान 1 . 90 मीटर की कूद लगा रहा था और पैरा राष्ट्रीय टूर्नामेंट में 1 . 99 मीटर तक पहुंचा था।
उन्होंने कहा , मौसम के कारण हम 1 . 88 मीटर पार नहीं कर सके। पेरिस ओलंपिक में अभी तीन साल है और वह वहां स्वर्ण जरूर जीतेगा।