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Written By WD Sports Desk
Last Modified: शुक्रवार, 16 अगस्त 2024 (15:55 IST)

चक दे गर्ल्स करें लड़को जैसा कमाल, कोच ने शुरु किया मिशन लॉस एंजलिस

अतीत को भूलकर भविष्य के बारे में सोचो, कोच हरेंद्र की महिला हॉकी टीम को सलाह

Indian women hockey team
‘‘अतीत को भुलाकर भविष्य के बारे में सोचो’ , लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 की तैयारी में जुटे भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच हरेंद्र सिंह ने अपनी टीम को यही सलाह दी है।तोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने के बाद भारतीय महिला हॉकी टीम पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकी जहां पुरूष टीम ने लगातार दूसरा कांस्य पदक जीता।

हरेंद्र ने PTI (भाषा) को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ जब मैं इस टीम के साथ फिर जुड़ा तो हमने इस पर विस्तार से बात की। मैं हमेशा सकारात्मक चीजें देखता हूं और मेरा मानना है कि उनके लिये कुछ बेहतर भविष्य के गर्भ में छिपा है।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ लड़कियां टूटी हुई थी और पूरा देश उनके ओलंपिक नहीं खेल पाने से दुखी था लेकिन मैने उनसे कहा कि कुछ बड़ा आपका इंतजार कर रहा है।’’
Savita Punia
इस साल अप्रैल में भारतीय महिला टीम के मुख्य कोच बनने के बाद अपने पहले इंटरव्यू में उन्होंने कहा ,‘‘ मैने उनसे कहा कि अतीत को भूल जाओ और भविष्य के बारे में सोचो। मैने इस मिशन को ‘Road to LA 2028’ नाम दिया है और मुझे लगता हे कि यह सफर खूबसूरत होगा।’’

इससे पहले 2017 . 18 में भारतीय महिला टीम के कोच रहे हरेंद्र ने कहा कि उनका लक्ष्य 2028 लॉस एंजिलिस ओलंपिक है।उन्होंने कहा ,‘‘भारत ने हॉकी में पहला ओलंपिक पदक 1928 में लॉस एंजिलिस में ही जीता था जब ध्यान चंद जी उस टीम का हिस्सा थे। इससे बेहतर क्या होगा कि हम सौ साल बाद उसी स्थान पर ओलंपिक पदक जीतें।’’

यह पूछने पर कि वह टीम में क्या बदलाव लाना चाहते हैं, उन्होंने कहा ,‘‘ पिछले चार साल में जो अच्छा काम हुआ है, मैं उसे नहीं बदलूंगा। इसके बाद एक एक करके देखेंगे कि कहां गलतियां हुई है। मैने खिलाड़ियों से कहा है कि प्रो लीग में अच्छे नतीजे नहीं मिल सकते हैं क्योंकि हमें एलए 2028 की नींव तैयार करनी है।’’

यह पूछने पर कि अमेरिका पुरूष हॉकी टीम के मुख्य कोच के रूप में अच्छी तनख्वाह छोड़कर उन्होंने लौटने का फैसला क्यो किया, उन्होंने कहा ,‘‘ मैं अपने देश लौटकर और यहां महिला सशक्तिकरण के लिये अपना योगदान देकर खुश हूं।मुझे लगता है कि भारतीय हॉकी की सेवा का यह सुनहरा मौका है।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ मैने अमेरिका में कोचिंग के दौरान बहुत कुछ सीखा। रियो ओलंपिक के बाद हमें समझ में आया कि अब नहीं जागे तो बहुत देर हो जायेगी। हमारे पास भारत में हॉकी में इतनी प्रतिभा और बेहतरीन बुनियादी ढांचा है जिसने मुझे प्रेरित किया। महिला हॉकी में भी प्रतिभा की कमी नहीं है और पदक जीतना असंभव नहीं है। ’’
Vandana Kataria

भारतीय जूनियर हॉकी टीम को 2016 विश्व कप जिताने वाले 55 वर्ष के कोच ने कहा कि उनकी प्राथमिकता फिटनेस का स्तर सुधारना है।उन्होंने कहा ,‘‘ इस टीम की फिटनेस का स्तर आधुनिक हॉकी के अनुकूल नहीं है। इसमें रफ्तार, दमखम, लचीलापन और निर्णय लेने की क्षमता सब आता है । इनके पास तकनीकी कौशल है और फिटनेस के मानदंडों पर खरे उतरने पर बड़े टूर्नामेंटों में प्रदर्शन अच्छा होगा।’’

हरेंद्र ने कहा कि उनकी दीर्घकालिक योजना टीम में ‘SST’ यानी साइंस, स्किल और टेक्नॉलॉजी का समावेश करने की है।उन्होंने कहा ,‘‘ हमें एसएसटी पर जोर देना होगा। हम यूरोपीय शैली पर खेल रहे हैं जिसका पहले अभाव था। हमने ब्लूप्रिंट तैयार किया है और जमीनी स्तर से राष्ट्रीय शिविर तक कोचिंग का एक मंत्र होना चाहिये।’
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