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ओलंपिक में लचर प्रदर्शन, भुलाने वाला साल रहा भारतीय तीरंदाजों के लिए

ओलंपिक में लचर प्रदर्शन, भुलाने वाला साल रहा भारतीय तीरंदाजों के लिए - Indian Archer, Rio Olympic 2016, Olympic Game
कोलकाता। सर्वश्रेष्ठ तैयारियों के बावजूद भारतीय तीरंदाजों ने लगातार दूसरे ओलंपिक खेलों में लचर प्रदर्शन किया जिससे तीरंदाजी में भारत के लिए साल 2016 काफी निराशाजनक रहा। हालात से सामंजस्य बैठाने के लिए तीरंदाज लगभग 1 महीना पूर्व सबसे पहले रियो पहुंचे थे लेकिन इससे उनके प्रदर्शन में खास असर नहीं पड़ा और वे सबसे पहले खाली हाथ लौटने वाले खिलाड़ियों में शामिल रहे।
रियो 2016 में तीरंदाजी में दीपिका कुमारी, लैशराम बोमबायला देवी और पदार्पण कर रही लक्ष्मीरानी मांझी की महिला टीम को पदक का दावेदार माना जा रहा था लेकिन टीम क्वार्टर फाइनल में रूस से हार गई जिसने बाद में रजत पदक जीता।
 
बोमबायला और दुनिया की पूर्व नंबर 1 दीपिका को मिलाकर 5 ओलंपिक में खेलने का अनुभव हासिल है लेकिन ये अनुभव भी रियो में कोई काम नहीं आ सका। सबसे सीनियर मणिपुर की बोमबायला ने महिला तीरंदाजों में सबसे अधिक प्रभावित किया लेकिन यह पदक के लिए नाकाफी था। व्यक्तिगत वर्ग में दीपिका, बोमबायला और एकमात्र पुरुष तीरंदाज अतनु दास अंतिम 16 चरण से ही बाहर हो गए।
 
पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे अतनु ने सबसे अधिक प्रभावित किया और क्वालीफिकेशन में 5वें स्थान पर रहे लेकिन बाद में तीसरे दौर में बाहर हो गए। भारतीय तीरंदाजों ने हालांकि ओलंपिक पदक को छोड़कर लगभग अन्य सभी उपलब्धियां हासिल कीं। अतुल वर्मा ने चीन के नानजिंग में यूथ ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
 
वर्ष 1988 में सोल में तीरंदाजी को ओलंपिक का हिस्सा बनाया गया लेकिन तब से भारत को इस खेल में अपने पहले ओलंपिक पदक का इंतजार है। सिडनी 2000 को छोड़कर भारतीय तीरंदाजों ने 7 बार ओलंपिक में हिस्सा लिया लेकिन कोई पदक नहीं मिला। भारतीय तीरंदाजों के लिए हालांकि साल की शुरुआत अच्छी रही, जब उन्होंने शिलांग में दक्षिण एशियाई खेलों में क्लीन स्वीप किया। भारत ने रिकर्व वर्ग में दांव पर लगे सभी 5 स्वर्ण और 2 रजत पदक जीते।
 
इन खेलों में कंपाउंड वर्ग को पहली बार शामिल किया गया और भारत ने उसमें भी 5 स्वर्ण और 2 रजत जीतकर अपना दबदबा बनाया। तीरंदाजों ने इन खेलों में कुल 10 स्वर्ण और 4 रजत जीते। भारत ने शंघाई में विश्व कप के पहले चरण में 1 रजत और 2 कांस्य जीते जबकि मेडेलिन में दूसरे चरण के लिए गई दूसरे दर्जे की टीम खाली हाथ लौटी।
 
ओलंपिक से पहले अंताल्या में तीसरे चरण में भारत के लिए अतनु और दीपिका ने मिश्रित टीम स्पर्धा में रजत पदक जीता लेकिन रियो के बाद ओडेनसे में चौथे चरण में टीम ने हिस्सा नहीं लिया। बैंकॉक में इस महीने की शुरुआत में इंडोर तीरंदाजी विश्व कप चरण 2 से भी भारतीय टीम खाली हाथ लौटी।
 
वर्ष 2016 में हालांकि दीपिका को पद्मश्री से सम्मानित किया गया जबकि कंपाउंड तीरंदाज रजत चौहान को अर्जुन पुरस्कार मिला। (भाषा)