मंगलवार, 3 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सनातन धर्म
  3. श्री कृष्णा
  4. Nidhivan Vrindavan
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 17 मार्च 2023 (20:17 IST)

क्यों है आज भी निधिवन अचरज का विषय, जानिए 10 रहस्य

क्यों है आज भी निधिवन अचरज का विषय, जानिए 10 रहस्य - Nidhivan Vrindavan
Nidhivan ka rahasya: वृंदावन में निधिवन नाम से एक जगह है जहां पर श्रीकृष्ण का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर और वन के बारे में कई तरह की जनश्रुति प्रचलित है। कहते हैं कि यहां पर श्रीकृष्‍ण रोज आते हैं और रात में रासलीला करने के बाद यहीं पर शयन करते हैं और सुबह होते ही चले जाते हैं। आओ जानते हैं इस अचरक भरी बातों का रहस्य।
 
1. निधिवन के मंदिर में शयन आरती करने के बाद सभी श्रद्धालुओं को बाहर निकालकर मंदिर और निधिवन क्षेत्र को करीब 7 तालों से बंद कर दिया जाता है। ताला बंद करने के पहले मंदिर में गर्भगृह में भगवान के लिए नीम की तातून, पान का बिड़ा, लड्‍डू और श्रृंगार का सामान रख दिया जाता हैं। रात में यहां कोई नहीं आता है, लेकिन फिर भी आश्चर्य की 7 तालों में बंद मंदिर को जब सुबह खोला जाता है तो पान चबाया हुआ, दातून की हुई, लड्डू खाया हुआ और श्रृंगार का सामान बिखरा हुआ मिलाता है।
 
2. कहते हैं कि इस मंदिर के दरवाजे अपने आप ही खुलकर बंद हो जाते हैं लेकिन यह किसी ने देखा नहीं। हालांकि लोग इस संबंध में अपने अनुभव जरूर बताते हैं। मान्यता अनुसार इस मंदिर को तानसेन के गुरु संत हरिदास ने अपने भजन से राधा−कृष्ण के युग्म रूप को साक्षात प्रकट किया था। यहां कृष्ण और राधा विहार करने आते थे। यहीं पर स्वामीजी की समाधि भी बनी है।
 
3. रात को यहां पर कोई नहीं जाता है। कहते हैं कि जिसने भी यहां पर रात को रुककर इस रहस्य को जानने का प्रयास किया वह सुबह बेसुध और आनंदित-सा मिलता है। दो या तीन दिन बात उसकी मौत हो जाती है। 
 
4. शाम के बाद यह मंदिर बंद हो जाता है और यह भी कहा जाता है कि अगर यहां कोई छुपकर रासलीला देखता है तो वह अगले दिन पागल हो जाता है। रात में यहां कोई भी नहीं रुकता है। स्थानीय लोगों के अनुसार ऐसा बरसों से होता आ रहा है। कुछ लोग इसे अंधविश्‍वास मानते हैं और कुछ लोग इसे श्रीकृष्‍ण का चमत्कार। हालांकि सच क्या है यह तो शोध का विषय ही है।
 
5. यह भी माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण स्यंव रोज रात को खुद शयन करने आते हैं। उनके सोने के लिए मंदिर के पुजारी रोज पलंग लगाते हैं और जिस पर साफ-सुधरी गादी एवं बिस्तर के ऊपर चादर बिछाते हैं। पान का बीड़ा, लड्डू और दातून के साथ ही श्रृंगार का सामान रखते हैं। लेकिन कहते हैं कि जब मंदिर खुलता है तो उस बिस्तर की हालत देखकर सभी अचंभित हो जाते हैं, क्योंकि उसे देखकर लगता है कि यहां कोई सोया था। 
6. सबसे आश्‍चर्य की बात यह भी कि यहां प्रतिदिन माखन मिश्री का प्रसाद चढ़ाया जाता है और जो बच जाता है उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है, लेकिन सुबह तक वह प्रसाद भी समाप्त हो जाता है। आखिर कौन खा जाता होगा वह प्रसाद?
 
7. जनश्रुति है कि प्रतिदिन मंदिर के अंदर स्थित रंगमहल में कृष्ण−राधा का पलंग लगा दिया जाता है और पूरा रंगमहल सजा दिया जाता है तथा राधाजी का श्रृंगार सामान रख कर मंदिर के दरवाजे बन्द कर दिए जाते हैं। जब प्रातः दरवाजे खुलते हैं तो सारा सामान अस्त−व्यस्त मिलता है। मान्यता है कि रात्रि में राधा−कृष्ण आकर इस सामान का उपयोग करते हैं।
 
8. कहते हैं कि यहां तुलसी के दो पौधे एक साथ लगे हैं। रात के समय जब राधा और कृष्ण रास रचाते हैं तो यही तुलसी के पौधे गोपियां बनकर उनके साथ नाचते हैं। इन तुलसी का एक भी पत्ता यहां से कोई नहीं ले जाता है। जिसने भी गुपचुप यह कार्य किया वह भारी आपदा का शिकार हो जाता है।
 
9. इस मंदिर के परिसर में उगने वाले पेड़ भी अजीब है। यहां के पेड़ की शखाएं नीचे की ओर बढ़ती है। यह भी जनश्रुति है कि रात में ये सभी पेड़ गोपियां बनकर श्रीराधा और कृष्ण के साथ नाचते हैं और सुबह होते ही पुन: पेड़ बन जाते हैं। इन सभी पेड़ों को गोपियां ही माना जाता है।
 
श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्द में रास पंचाध्यायी में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शरद पूर्णिमा को यमुना पुलिन में गोपिकाओं के साथ महारास के बारे में बताया गया है। आज भी शरद पूनम पर निधिवन में होती है विशेष रासलीला लेकिन कोई इसे देख नहीं सकता बस महसूस कर सकता है। कहते हैं निधिवन के आलिंगनबद्ध पेड़ दरअसल यही रास रत गो‍पीकृष्ण हैं जो प्रात: होते ही पेड़ बन जाते हैं और रात्रि के नीरव में रास करने लगते हैं।
 
10. यहां के आसपास के अधिकतर घरों में खिड़कियां नहीं हैं और जिनके घरों में हैं वे शाम की आरती के बाद खिड़कियां इस डर से बंद कर देते हैं कि कोई मंदिर की दिशा में देखे नहीं, अन्यथा वह अंधा हो जाएगा।