शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. श्रावण मास विशेष
  4. Shivaratri of Sawan month
Written By
Last Modified: शनिवार, 23 जुलाई 2022 (17:51 IST)

26 जुलाई को है श्रावण मास की शिवरात्रि, महत्व, पूजा विधि और पूजा के मुहूर्त

shivling
Sawan Maas Shivratri : 26 जुलाई 2022 मंगलवार के दिन श्रावण मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि है। चूंकि श्रावण मास है इसलिए इस शिवरात्रि का खास महत्व रहेगा। आओ जानते हैं इस दिन के खास मुहूर्म और इस दिन का महत्व। 
 
श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि का महत्व : हर माह की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि आती है, परंतु श्रावण माह की शिवरात्रि महत्वपूर्ण होती है क्योंकि श्रावण माह शिवजी का माह है। लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है, जिसे बड़े ही हषोर्ल्लास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन व्रत करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है और जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं। 
 
जो कन्याएं मनोवांछित वर पाना चाहती हैं उन्हें इस दिन विधिवत व्रत रखकर शिवजी की पूजा करना चाहिए। उनके विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन की शिवरात्रि मनुष्‍य के सभी पाप को नष्ट कर देती है. ऐसे में सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्‍व है क्‍योंकि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है।
 
पूजा के मुहूर्त : 
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:38 से 12:31 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:18 से 03:12 तक।
अमृत काल मुहूर्त : शाम 04:53 से 06:41 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:33 से 06:57 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:47 से 07:50 तक।
मासिक शिवरात्रि-चतुर्दशी पूजन विधि-puja vidhi
- मासिक शिवरात्रि तथा चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान शिव का ध्‍यान करें तथा व्रत का संकल्‍प लें।
- पूजन के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल (यदि उपलब्ध हो तो) शकर, घी, शहद और दही अर्पित करके पूजन करें। 
- पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा आदि भी चढ़ाएं। 
- भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की आरती करें।
- मिठाई का भोग लगाएं। 
- शिव के मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय'। 'शिवाय नम:'। 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'। आदि का जाप अधिक से अधिक करें। 
- शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण तथा अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और पारणा करके व्रत को पूर्ण करें।
ये भी पढ़ें
हरियाली तीज के दिन करते हैं ये 6 कार्य