Sawan ka dusra somvar 2022: 25 जुलाई को श्रावण मास के दूसरे सोमवार के दिन खास योग संयोग बन रहे हैं। श्रावण मास में शिव पूजा और व्रत का खास महत्व रहता है। दुर्लभ संयोग के शुभ मुहूर्त में पूजा और अभिषेक का खास महत्व रहेगा। ऐसे में जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
खास संयोग:
1. इस दिन द्वादशी की तिथि यानी प्रदोष का व्रत भी रहेगा। प्रदोष व्रत भी शिवजी को समर्पित है।
2. इस दिन कामिका एकादशी व्रत का पारण भी किया जाएगा।
3. द्वादशी शाम 04:15 तक रहेगी और उसके बाद त्रयोदशी प्रारंभ हो जाएगी।
4. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। इस योग में शिवपूजा के साथ ही मंत्र भी सिद्ध हो जाएंगे।
5. इस दिन अमृत सिद्धि योग में गंगा स्नान, शिवजी और विष्णुजी की पूजा बहुत ही फलदायी रहती है। जातक अकाल मृत्यु से बच जाता है। साथ ही इस योग में दान पुण्य के कार्य करने का अक्षय फल प्राप्त होता है।
पूजा के शुभ मुहूर्त :
-अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:38 से 12:31 PM
-सर्वार्थ सिद्धि योग : प्रात: 05:22 से रात्रि 01:06 तक।
-अमृत सिद्धि योग : प्रात: 05:22 से रात्रि 01:06 तक।
शिव पूजा की विधि :
*शिवरात्रि के व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
*शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
*उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनका जलाभिषेक करें।
*फिर शिवलिंग पर दूध, फूल, धतूरा आदि चढ़ाएं। मंत्रोच्चार सहित शिव को सुपारी, पंच अमृत, नारियल एवं बेल की पत्तियां चढ़ाएं। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
*इसके बाद उनके समक्ष धूप, तिल के तेल का दीप और अगरबत्ती जलाएं।
*इसके बाद ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
*पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें।
*पूजा समाप्त होते ही प्रसाद का वितरण करें।
*शिव पूजा के बाद शिवरात्रि व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।
*व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
*दिन में दो बार (सुबह और सायं) भगवान शिव की प्रार्थना करें।
*संध्याकाल में पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।