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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 23 जुलाई 2025 (10:17 IST)

शिवरात्रि पर प्रदोष काल या निशिथ मुहूर्त में करें शिवलिंग की पूजा तो मिलेगा दोगुना फल

Sawan Shivratri 2025
Sawan Shivratri 2025: धार्मिक मान्यता मे अनुसार यह बिल्कुल सही है कि शिवरात्रि पर प्रदोष काल और निशिथ मुहूर्त में शिवलिंग की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। ये दोनों ही समय भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। आइए यहां जानते हैं सावन शिवरात्रि पर पूजन का शुभ समय और मिलने वाले शुभ फल...ALSO READ: कब है सावन माह की शिवरात्रि, जानिए इस दिन कौन से 5 खास कार्य करने से मिलेगा महादेव का आशीर्वाद
 
सावन शिवरात्रि 2025 के लिए पूजन के शुभ मुहूर्त: 
इस बार सावन शिवरात्रि आज, 23 जुलाई 2025, बुधवार को है। इस दिन आप प्रदोष काल और निशिथ मुहूर्त दोनों में भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
 
बुधवार, जुलाई 23, 2025 को सावन शिवरात्रि पर चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 23 जुलाई 2025 को सुबह 04:39 मिनट से होकर चतुर्दशी तिथि का समापन 24 जुलाई 2025 को देर रात 02:28 मिनट तक।
 
• आज के दिन प्रदोष काल का समय: यह 23 जुलाई की शाम को सूर्यास्त के बाद शुरू होगा।
 
• निशिथ काल का समय 23 जुलाई की मध्यरात्रि यानी 24 जुलाई के शुरुआती घंटों में होगा।
• निशिथ काल पूजा समय: 23 जुलाई 2025 को रात 12:23 से देर रात 01:07 मिनट तक। (24 जुलाई)
अवधि - 00 घंटे 44 मिनट्स।
इन दोनों शुभ कालों में भगवान शिव का अभिषेक, मंत्र जाप और ध्यान करने से आपको महादेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा।
 
यहां इन दोनों मुहूर्तों का महत्व और मिलने वाला फल यहां जानें...
 
1. प्रदोष काल में पूजन का महत्व: प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि के आगमन से ठीक पहले का समय होता है। यह भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का अर्थ है 'दोषों का नाश करने वाला'। इस काल में भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं।
 
- फल: प्रदोष काल में शिव पूजा करने से सभी प्रकार के दोषों का निवारण होता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। जो भक्त इस समय भगवान शिव का अभिषेक और पूजा करते हैं, उन्हें विशेष कृपा प्राप्त होती है।ALSO READ: शिवरात्रि पर शिवजी को प्रसन्न करने के लिए करें ये 5 पाठ
 
2. निशिथ काल में पूजा का महत्व: निशिथ काल या मुहूर्त मध्यरात्रि का समय होता है और शिवरात्रि पर निशिथ काल को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसी समय भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे।
 
- फल: निशिथ मुहूर्त में की गई शिव पूजा का फल सर्वाधिक होता है। इस समय शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। यह समय आध्यात्मिक उन्नति, मोक्ष और गंभीर समस्याओं से मुक्ति के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।ALSO READ: कर्ज मुक्ति के लिए सावन शिवरात्रि पर करें ये सिद्ध उपाय, भोलेनाथ की कृपा से धन संपदा का लग जाएगा अंबार
 
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