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Written By WD Feature Desk
Last Modified: मंगलवार, 9 सितम्बर 2025 (12:25 IST)

Shradh Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में तृतीया तिथि का श्राद्ध कैसे करें, सावधानी और जानिए कुतुप काल मुहूर्त

Tritiya tithi ka sharad
Shradh Paksha: 16 दिनों तक चलते वाले इस सोलह श्राद्ध में पितरों की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। 01 अक्टूबर को श्राद्ध का तीसरा दिन रहेगा। यानी तृतीया का श्राद्ध रखा जाएगा। आओ जानते हैं कि इस दिन कब तक रहेगी तृतीया तिथि और क्या है श्राद्ध करने का मुहूर्त और विधि। इस दिन खासकर किन लोगों का करते हैं श्राद्ध। तृतीया श्राद्ध को तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
 
तृतीया तिथि प्रारंभ: 09 सितंबर 2025 को शाम 06:41 बजे।
तृतीया तिथि समाप्त: 10 सितंबर 2025 को अपराह्न 03:33 तक।
 
श्राद्ध पक्ष 2025 तृतीया तिथि श्राद्ध का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:53 से 12:43 तक।
कुतुप मूहूर्त: दोपहर 12:53 से 12:43 तक।
रौहिण मूहूर्त: दोपहर 12:43 से 01:33 तक।
अपराह्न काल: दोपहर 01:33 से 04:02 तक।
 
किन पितरों के लिए किया जाता है तृतीया के दिन श्राद्ध : 
1. तृतीया के दिन जिन लोगों का देहांत हुआ है, अर्थात् तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) पक्ष की तृतीया तिथि को जिसका भी देहांद हुआ है उनका  उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। 
 
2. तृतीया तिथि के दिन स्वर्गवासी माता, पिता का श्राद्ध एवं तर्पण मृत्यु तिथि के अनुसार पितृ पक्ष की तृतीया को किया जाता है।
 
3. इस दिन श्राद्ध अभिजीत, कुतुप या रोहिणी मुहूर्त में किया जाता हैं। 
 
4. श्राद्ध पक्ष में दोपहर के समय या दोपहर के बाद अपराह्न काल में श्राद्ध करना चाहिए।  
 
5. तृतीया श्राद्ध को विधिवत रूप से श्राद्ध करने पर सद्बुद्धि, स्वास्थ और समृद्धि प्राप्त होती है। 
 
तृतीया तिथि का श्राद्ध कैसे करें?
  • गंगाजल, कच्चा दूध, जौ, तुलसी और शहद मिश्रित जल की जलां‍जलि दें।
  • इसके बाद गाय के घी का दीप जलाएं, धूप दें, गुलाब का फूल चढ़ाएं और चंदन अर्पित करें।
  • इसके बाद पिता से प्रारंभ करके पूर्वजों के जहां तक नाम याद हों वहां तक के पितरों के नामोच्चारण करके स्वधा शब्द से अन्न और जल अर्पित करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु और यम की पूजा करें। इसके बाद तर्पण कर्म करें।
  • पितृ के निमित्त लक्ष्मीपति का ध्यान करके गीता का तीसरा अध्याय का पाठ करें। 
  • फिर श्राद्ध में कढ़ी, भात, खीर, पुरी और सब्जी का भोग लगाते हैं।
  • पितरों के लिए बनाया गया भोजन रखें और अंगूठे से जल अर्पित करें।
  • इसके बाद भोजन को गाय, कौवे और फिर कुत्ते और चीटियों को खिलाएं।
  • तृतीय श्राद्ध में तीन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
  • उन्हें शक्कर, वस्त्र, चावल और यथाशक्ति दक्षिणा देकर उन्हें तृप्त करें।
 
तृतीया तिथि के श्राद्ध में रखें ये सावधानियां : 
1. इस दिन गृह कलह न करें, झूठ न बोलें और ब्याज का धंधा न करें।
2. श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना वर्जित है।
3. इस दिन शराब पीना, मांस खाना, चरखा भोजन, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
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