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Written By WD Feature Desk

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है?

Maha Shivratri I महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है? - What is the scientific significance of Mahashivratri
Mahashivratri 2024 
 
HIGHLIGHTS
 
• महाशिवरात्रि व्रत का महत्व।
• धर्मग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि व्रत क्या हैं।
• वैज्ञानिक दृष्टि से महाशिवरात्रि की रात बेहद खास होती है। 
Science behind Shivratri: वर्ष 2024 में भगवान शिव का पावन पर्व 'महाशिवरात्रि' 08 मार्च, दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है। प्रतिवर्ष वसंत ऋतु के फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, जो कि अमावस्या से 4 दिन पहले पड़ता है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व- 

भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। धार्मिक दृष्टि से सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। तभी तो भोलेनाथ/ आशुतोष को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। और शिव जी को प्रसन्न करने का ही महापर्व है...शिवरात्रि...। जो पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुण मास, कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 
 
हिन्दू धर्म शास्त्रों में प्रदोष काल यानी सूर्यास्त होने के बाद और रात्रि होने के मध्य की अवधि, मतलब सूर्यास्त होने के बाद के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि को प्रदोष काल कहा जाता है। और इसी समय भगवान आशुतोष प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते है। इसी समय सभी के प्रिय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। 
 
यही वजह है, कि प्रदोष काल में शिव जी की पूजा या शिवरात्रि में औघड़दानी भगवान शिव का जागरण करना विशेष कल्याणकारी कहा गया है। हमारे सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था।

हिन्दू धर्मशास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जगत में रहते हुए मनुष्य का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। इस व्रत को रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। 

 
महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व : 
 
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार शिव एक शक्ति है, एक रहस्यमय ऊर्जा, जिससे संपूर्ण जगत चलायमान है। हालांकि वैज्ञानिक भी अभी तक इसे कोई नाम नहीं दे पाए हैं। लेकिन यदि प्राचीन काल के संत मुनि-ऋषियों की मानें तो उन्होंने इस अज्ञात शक्ति को शिव कहा है। और वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो महाशिवरात्रि की रात्रि बहुत खास होती है। 
 
मान्यतानुसार इस रात्रि ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार विद्यमान होता है कि हर मनुष्य के अंदर की ऊर्जा, प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है। अर्थात् कहने का तात्पर्य यह हैं कि प्रकृति स्वयं ही मनुष्य को आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद कर रही होती है। अत: महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पूजन-आराधना करने के लिए व्यक्ति को एकदम सीधे बैठना पड़ता है, जिससे रीड की हड्डी मजबूत होती है तथा वह व्यक्ति जो सोचता हैं वो पा सकता है, यानी इस समयावधि में आप सुपर नेचर पावर का अहसास महसूस करते हैं।
 
अत: महाशिवरात्रि पर्व की विशेषता है कि सनातन धर्म के सभी प्रेमी इस त्योहार को मनाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भक्त जप, तप और व्रत रखते हैं और इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप के दर्शन करते हैं। इस पवित्र दिन पर देश के हर हिस्सों में शिवालयों में बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा आदि से शिव जी का अभिषेक किया जाता है। देश भर में महाशिवरात्रि को एक महोत्सव के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह हुआ था।
 
शिव जी की साधना से जीवन में धन, धान्य, सुख, सौभाग्य, समृद्धि तथा ऐश्वर्य और आरोग्य की कमी कभी नहीं होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन भक्ति-भाव से स्वयं एवं  जगत के कल्याण के लिए भगवान भोलेनाथ की आराधना करनी चाहिए। अत: शिव ही वह ऊर्जा है, जो हर जीव के अंदर मौजूद है और इसी ऊर्जा के कारण ही हम सभी अपनी दैनिक गतिविधियां कर पाते हैं। 
 
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