ओंकारेश्वर में शिवजी और मां पार्वती के लिए बिछाई जाती है चौसर पासे की बिसात
Mahashivratri 2023: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मध्यप्रदेश में इंदौर के पास स्थित ओमकारेश्वर ज्योर्तिलिंग को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंदिर क्षेत्र में तीन पुरियां हैं- शिवपुरी, विष्णुपुरी और ब्रह्मपुरी। यहां का मंदिर नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यहां पर शिवजी की तीन प्रहर की आरती की जाती है। कहते हैं कि सुबह, शाम और रात्रि को शयानारती के समय स्वयं शिवजी उपस्थित रहते हैं।
शयनकाल की आरती के बाद शयन आसन में शिव-पार्वती जी के लिए यहां पर चौपड़ सजयी जाती है। मान्यता है कि भोलेनाथ और मां पार्वती दोनों चौपड़ खेलने आते हैं। इस परंपरा को प्राचीनकल से ही निभाया जा रहा है। ज्योर्तिलिंग के सामने प्रतिदिन चौपड़ बिछाकर उसकी गोटे और पासे यथास्थान रखे जाते हैं। इस प्राचीन खेल मे चौकोर सफेद काले बॉक्स होते है, जिस पर गोट जमाई जाती है।
यहां के पुजारी पंडित रमेश चंद्र के अनुसार चौपड़ पासे जामाकर मंदिर के द्वार परजूना की जाती है और इसके बाद द्वार पर ताले लगा दिए जाते हैं। इस दौरान रात्रिकाल में किसी को भी मंदिर में जाने की अनुमति नहीं रहती है। अगले दिन ब्रह्म मुहु्र्त में मंदिर के जब पट खोले जाते हैं तो चौपड़ पर रखी गोटे और पासे इस प्रकार से बिखरे मिलते हैं कि जैसे उनसे खेला गया हो।
बताया जाता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही एक मात्र ऐसा तीर्थ स्थल है। जहां हर रात भगवान शिव और माता पार्वती आते हैं और उसके बाद वे दोनों चौसर खेलते हैं। कहते हैं कि तीनों लोक का भ्रमण करने के बाद शिवजी यहां पर चौसर खेलने के बाद रात्रि विश्राम करते हैं।