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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 3 फ़रवरी 2025 (15:46 IST)

Narmada jayanti 2025: नर्मदा नदी कितनी प्राचीन है?

Narmada jayanti 2025: नर्मदा नदी कितनी प्राचीन है? - How old is the Narmada river
Narmada Jayanti 2025: मध्यप्रदेश और गुजरात में बहने वाली नर्मदा नदी को हिंदू पुराणों में रेवा कहा गया है। हिंदू धर्म में इसे 7 पवित्र नदियों में से एक माना गया है। यह नदी मध्य प्रदेश के अमरकण्टक नामक स्थान से निकलकर गुजरात के खम्बात की खाड़ी में समुद्र में लीन हो जाती है। करीब 1300 किलोमीटर लंबी इस के मार्ग में कई पहाड़, जंगल, प्राचीन तीर्थ, मंदिर और पुरा स्थलों को देखा जा सकता है। नर्मदा नदी की कुल 41 सहायक नदियां हैं। भारत में कई नदियां पश्‍चिम से होकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। वहीं नर्मदा जिसे रेवा भी कहते हैं जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है और अरब सागर में जाकर गिरती है। नर्मदा को भारत की सबसे प्राचीन नदियों में से एक माना जाता है। तिवर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है। इस वर्ष 4 फरवरी मंगलवार 2025 के दिन रहेगी। 
 
नर्मदा नदी का महत्व: मत्स्यपुराण में नर्मदा की महिमा इस तरह वर्णित है- यमुना का जल एक सप्ताह में, सरस्वती का तीन दिन में, गंगाजल उसी दिन और नर्मदा का जल उसी क्षण पवित्र कर देता है। आशय यह कि गंगा कनखल में और सरस्वती कुरुक्षेत्र में पवित्र है किन्तु गांव हो या वन नर्मदा हर जगह पुण्य प्रदायिका महासरिता है। पुराणों में ऐसा वर्णित है कि संसार में एकमात्र मां नर्मदा नदी ही है जिसकी परिक्रमा सिद्ध, नाग, यक्ष, गंधर्व, किन्नर, मानव आदि करते हैं। मां नर्मदा की महिमा का बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता। आदिगुरु शंकराचार्यजी ने नर्मदाष्टक में माता को सर्वतीर्थ नायकम्‌ से संबोधित किया है। अर्थात माता को सभी तीर्थों का अग्रज कहा गया है। 
 
पुराणों में नर्मदा: स्कंद पुराण में वर्णित है कि राजा-हिरण्यतेजा ने चौदह हजार दिव्य वर्षों की घोर तपस्या से शिव भगवान को प्रसन्न कर नर्मदा जी को पृथ्वी तल पर आने के लिए वर मांगा। शिव जी के आदेश से नर्मदा जी मगरमच्छ के आसन पर विराज कर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम दिशा की ओर बहकर आगे चली गईं। स्कंद पुराण के रेवाखंड में ऋषि मार्केडेयजी ने लिखा है कि नर्मदा के तट पर भगवान नारायण के सभी अवतारों ने आकर मां की स्तुति की। सत्‌युग के आदिकल्प से इस धरा पर जड़, जीव, चैतन्य को आनंदित और पल्लवित करने के लिए शिवतनया का प्रादुर्भाव माघ मास में हुआ था। पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी को पाताल की नदी माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार नर्मदा के तट पर हैहयवंशी छत्रियों और भार्गववंशी ब्राह्मणों का प्राचीनकाल से ही राज रहा है। सहस्रबाहु महेश्वर ( प्राचीन महिष्मती ) का राजा था और उनके कुल पुरोहित भार्गव प्रमुख जमदग्नि ॠषि (परशुराम के पिता) थे। 
 
विज्ञान क्या कहता है?: नर्मदा की घाटी को विश्व की सबसे प्राचीनतम घाटियों में गिना जाता है। यहां पर डायनासोर के अंडे भी पाए गए हैं और यहां कई विशालकाय प्रजातियों के कंकाल भी मिले हैं। इसके मिलने से यह सिद्ध होता है कि यह नदी और घाटी कितनी पुरानी है। यहां डायनासोर के अंडों के जीवाश्म पाए गए, तो दक्षिण एशिया में सबसे विशाल भैंस के जीवाश्म भी मिले हैं। संपादक एवं प्रकाशक डॉ. शशिकांत भट्ट की पुस्तक 'नर्मदा वैली : कल्चर एंड सिविलाइजेशन' नर्मदा घाटी की सभ्यता के बारे में विस्तार से उल्लेख मिलता है। इस किताब के अनुसार नर्मदा किनारे मानव खोपड़ी का 5 से 6 लाख वर्ष पुराना जीवाश्म मिला है। इससे यह खुलासा होता है कि यहां सभ्यता का काल कितना पुराना है।
 
नर्मदा के जल का राजा है मगरमच्छ जिसके बारे में कहा जाता है कि धरती पर उसका अस्तित्व 25 करोड़ साल पुराना है। यह मीठे पानी का मगरमच्छ दुनिया के अन्य मगरमच्छों से एकदम अलग है। क्या इससे यह सिद्ध होता है कि नर्मदा का अस्तित्व भी 25 करोड़ साल पुराना है? पुरातत्व विभाग अनुसार नर्मदा के तट के कई इलाकों में हजारों साल प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष पाएं गए है।
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