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भारत का इतिहास महाभारत

Introduction to Mahabharata | भारत का इतिहास महाभारत
'जो यहां है वह आपको संसार में कहीं न कहीं अवश्य मिल जाएगा, जो यहां नहीं है वो संसार में आपको अन्यत्र कहीं नहीं मिलेगा'- महाभारत।
'महाभारत' को महाकाव्य रूप में लिखा गया भारत का ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ माना जाता है। यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य ग्रंथ है। इसमें लगभग एक लाख श्लोक हैं, जो इलियड और ओडिसी से सात गुना ज्यादा माना जाता है। महाभारत का एक छोटा-सा हिस्सा मात्र है गीता। महाभारत में वेदों और अन्य हिन्दू ग्रंथों का सार निहित है। महाभारत को महर्षि वेद व्यासजी ने लिखा था।
 
ऐतिहासिक तथ्‍य :
विद्वानों का मानना है कि महाभारत में ‍वर्णित सूर्य और चंद्रग्रहण के अध्ययन से पता चलता है कि इसकी रचना 31वीं सदी ईसा पूर्व हुई थी। आमतौर पर इसका रचनाकाल 1400 ईसा पूर्व का माना जाता है। आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ और कलियुग का आरम्भ कृष्ण के निधन के 35 वर्ष पश्चात हुआ।
 
एक अध्ययन अनुसार राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था। शल्य जो महाभारत में कौरवों की तरफ से लड़ा था उसे रामायण में वर्णित लव और कुश के बाद की 50वीं पीढ़ी का माना जाता है। इसी आधार पर कुछ विद्वान महाभारत का समय रामायण से 1000 वर्ष बाद का मानते हैं।
 
ताजा शोधानुसार ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में कहा कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे। इसके कुछ माह बाद ही महाभारत की रचना हुई मानी जाती है।
 
महाभारत का युद्ध :
महाभारत में चंद्रवंशियों के दो परिवार कौरव और पाण्डव के बीच हुए युद्ध का वृत्तांत है। 100 कौरव और पांच पांडव के बीच भूमि के लिए जो संघर्ष चला उससे अंतत: महाभारत युद्ध का सृजन हुआ। उक्त लड़ाई आज के हरियाणा स्थित कुरुक्षेत्र के आसपास हुई मानी गई है। इस युद्ध में पांडव विजयी हुए थे। इस युद्ध को धर्मयुद्ध कहा जाता है। धर्मयुद्ध अर्थात सत्य और न्याय के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध।
 
एक मान्यता अनुसार अन्य भारतीय साहित्यों की तरह यह महाकाव्य भी पहले वाचिक परंपरा द्वारा हम तक पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुंची है। बाद में छपाई की कला के विकसित होने से पहले ही इसके बहुत से अन्य भौगोलिक संस्करण भी हो गए हैं जिनमें बहुत-सी ऐसी घटनाएं हैं जो मूल कथा में नहीं दिखतीं या फिर किसी अन्य रूप में दिखती हैं।
 
महाभारत में कुल उन्नीस खंड हैं जिसे पर्व कहा जाता है:-
1. आदिपर्व : परिचय, राजकुमारों का जन्म और लालन-पालन।
2. सभापर्व : दरबार की झलक, द्यूत क्रीड़ा और पांडवों का वनवास, मय दानव द्वार इंद्रप्रस्थ में भवन का निर्माण। 
3. अरण्यकपर्व (अरण्यपर्व) - वनों में 12 वर्ष का जीवन। 
4. विराटपर्व : राजा विराट के राज्य में अज्ञातवास। 
5. उद्योगपर्व : युद्ध की तैयारी। 
6. भीष्मपर्व - महाभारत युद्ध का पहला भाग, भीष्म कौरवों के सेनापति के रूप में (इसी पर्व में भगवद्‍गीता आती है)।
7. द्रोणपर्व : युद्ध जारी, द्रोण सेनापति। 
8. कर्णपर्व : युद्ध जारी, कर्ण सेनापति। 
9. शल्यपर्व : युद्ध का अंतिम भाग, शल्य सेनापति। 
10. सौप्तिकपर्व : अश्वत्थामा और बचे हुए कौरवों द्वारा पांडव सेना का सोए हुए में वध। 
11. स्त्रीपर्व : गान्धारी और अन्य स्त्रियों द्वारा मृत लोगों के लिए शोक। 
12. शांतिपर्व : युधिष्ठिर का राज्याभिषेक और भीष्म के दिशा-निर्देश। 
13. अनुशासनपर्व : भीष्म के अंतिम उपदेश। 
14. अश्वमेधिकापर्व : युधिष्ठिर द्वारा अश्वमेध का आयोजन। 
15. आश्रम्वासिकापर्व : धृतराष्ट्र, गान्धारी और कुन्ती का वन में आश्रम के लिए प्रस्थान। 
16. मौसुलपर्व : यादवों की परस्पर लड़ाई। 
17. महाप्रस्थानिकपर्व : युधिष्ठिर और उनके भाइयों की सद्‍गति का प्रथम भाग। 
18. स्वर्गारोहणपर्व : पांडवों की स्वर्ग यात्रा।
19. हरिवंशपर्व : इसके अलावा 16,375 श्लोकों का एक उपसंहार भी बाद में महाभारत में जोड़ा गया था जिसे हरिवंशपर्व कहा जाता है। इस अध्याय में खासकर भगवान श्रीकृष्ण के बारे में वर्णन है।
 
अन्य तथ्य : 
गीता : श्रीकृष्ण द्वारा भीष्मपर्व में अर्जुन को दिया गया उपदेश। 
कृष्णवार्ता : भगवान श्रीकृष्ण की हरिवंशपर्व में दी गई कहानी।
रामायण : राम-रामायण का अरण्यकपर्व में एक संक्षिप्त वर्णन।
विष्णुसहस्रनाम : शांतिपर्व में वर्णित विष्णु के 1000 नामों की महिमा।
प्रेमकथा : अरण्यकपर्व में नल-दमयंती की प्रेमकथा। ऋष्य ऋंग एक ऋषि की प्रेमकथा।