9 अगस्त : अगस्त क्रांति का ऐतिहासिक दिन
ऋषिकेश कुमार गौतम
राम मनोहर लोहिया ने भारत छोड़ो आंदोलन की पचीसवीं वर्षगांठ पर लिखा था, '9 अगस्त का दिन हम भारतवासियों के जीवन की महान घटना है और यह हमेशा बनी रहेगी। 15 अगस्त राज्य की महान घटना है, अभी तक हम 15 अगस्त को धूमधाम से मनाते हैं,क्योंकि उस दिन ब्रिटिश वायसराय माउंटबेटन ने भारत के प्रधानमंत्री के साथ हाथ मिलाया था और क्षतिग्रस्त आजादी हमारे देश को दी थी, वहीं 9 अगस्त देश की जनता की उस इच्छा की अभिव्यक्ति थी जिसमें उसने यह ठान लिया था कि हमें आजादी चाहिए और हम आजादी ले कर रहेंगे।' हमारे देश के लंबे इतिहास में पहली बार करोड़ों लोगों ने आजादी की अपनी इच्छा जाहिर की थी। कुछ जगहों पर इसे जोरदार ढंग से प्रकट भी किया गया था।' अगस्त क्रांति यानी 9 अगस्त। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में अगस्त क्रांति के नाम से मशहूर भारत छोड़ो आंदोलन का करीब तीन-चार साल का दौर अत्यंत महत्त्वपूर्ण होने के साथ पेचीदा भी था। यह आंदोलन देशव्यापी था जिसमें बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने हिस्सेदारी की और अभूतपूर्व साहस और सहनशीलता का परिचय दिया।
लोहिया ने ट्राटस्की के हवाले से लिखा है कि रूस की क्रांति में वहां की सिर्फ एक प्रतिशत जनता ने हिस्सा लिया था,जबकि भारत की अगस्त क्रांति में देश के बीस प्रतिशत लोगों ने हिस्सेदारी की थी। 8 अगस्त 1942 को ‘भारत छोड़ो’प्रस्ताव पारित हुआ और 9 अगस्त की रात को कांग्रेस के बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए।