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इश्क में पागल...!
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मोनू कोई मर रहा है किसी के इश्क में पागल होकर। ना उसे चैन है ना उसे आराम हैबस दिल में हैएक अजीब-सी हलचल।पर क्या करें जिसको चाहा है जी जान से ज्यादा उसे इस बात की खबर होकर भी वह बन बैठा है अनजान।दिल को डुबो देने वाला यह दर्द जीने ही नहीं दे रहा हैआँसू है कि आँखों से थमने का नाम ही नहीं लेते।दिल है कि यह मानने को तैयार ही नहीं कि उसे प्यार ही नहीं है किसी से।क्या करें बहुत मजबूर हो जाता है इंसान जब वह किसी के प्यार में गिरफ्तार हो जाता है।उस समय सोचने-समझने की शक्ति भी काम करना बंद कर देती है दिलो-दिमाग पर तो बस नशा सा छाया रहता है जिससे बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय कोई करें तो क्या करेंये जालिम कुछ तो अपना फर्ज निभाइस पागल प्यार के खातिर। इस पागल प्यार के खातिर...!