ऐसा हो गणतंत्र हमारा
- राधेश्याम आर्य विद्यावाचस्पति
ऐसा हो गणतंत्र हमाराजनहित के प्रति रहे समर्पित,शासन तथा प्रशासन सारा।खुशियों से हो भरा राष्ट्र यह,गुंजित हो 'जयहिंद' सुनारा। बढ़ें सुपथ पर, मिलकर सारेराष्ट्र बने प्राणों से प्यारा।ऐसा हो गणतंत्र हमारा॥देशभक्ति की धार सुपावन,जन-मन में हो पुनः प्रवाहित।युवक हमारे निकलें, निर्भय,प्राण हथेली पर लें, परहित।आतंकों के, उग्रवाद केहामी सारे करें किनारा।ऐसा हो गणतंत्र हमारा॥भ्रष्टाचार रहित हो शासन,कर्मी सारे बने हितैषी।जगे हमारे अंतर्मन में,निश्छलता से भाव स्वदेशी।कभी न मानव बने यहाँ कामानवता का ही हत्यारा।ऐसा हो गणतंत्र हमारा॥समता-समरसता-समृद्धि का,हो कण-कण में नव संचारण।सभी समस्याओं का हो फिर,आज राष्ट्रहित, शीघ्र निवारण।निर्बलतम जो भारत जन हैंउनको भी अब मिले सहारा।ऐसा हो गणतंत्र हमारा॥भीष्म-भीम व पार्थ सदृश हों,वीर-जयी, सेनानी सारे।अपराजित हो सैन्य वाहिनी, विश्व-विजय के हित हुंकारे।पथ प्रशस्त करें वसुधा काजय ध्वज वाहक भारत न्यारा।ऐसा हो गणतंत्र हमारा॥