UK Uttarakhand tourism: उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटन स्थल जहां जाकर मिलेगा तीर्थ यात्रा का पुण्य लाभ
UK Uttarakhand tourism: गर्मी का मौसम प्रारंभ होने वाला है और अब उत्तराखंड में केदारनाथ एवं बद्रीनाथ के कपाट भी खुलने वाले हैं। इसी के साथ यहां पर गंगोत्री और यमुनोत्री के स्थान पर जाकर भी तीर्थ का पुण्यलाभ प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन हम इन छोटा चार धाम की बात नहीं कर रहे हैं। महाकुंभ की समाप्ति के बाद यदि आप प्रयागराज नहीं जा पाएं हैं तो उत्तराखंड में जाकर इन स्थानों पर दर्शन करके तीर्थ यात्रा का पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
1. हरिद्वार: उत्तराखंड का एक शहर हरिद्वार जहां लगता है विश्व प्रसिद्ध कुंभ मेला। गंगा के तट पर बसा यह नगर बहुत ही खूबसूरत और प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण है। गंगा तट पर बसी तीर्थ और कुंभ नगरी हरिद्वार में कई प्राचीन मंदिर, आश्रम और तपोवन है। यहां पर शक्ति त्रिकोण है अर्थात माता के तीन प्रमुख मंदिर है। मनसा देवी, चंडी देवी और महामाया शक्तिपीठ। गंगा के तट पर ब्रह्मकुंड नामक तट है जहां पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। यहीं पर कई प्राचीन मंदिर और स्थान है। उन्हीं में से एक है गंगा मंदिर। हरिद्वार तट पर ब्रह्मकुंड के समीप गंगा मंदिर है। यहां गंगा आरती को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। हालांकि ऋषिकेश में भी आरती होती है।
2. ऋषिकेश: ऋषिकेश हरिद्वार से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है, जिसे पूरे एक दिन में घूमा जा सकता है। वैसे तो यहां काफी दर्शनीय स्थल देखने लायक है। ऋषिकेश बहुत ही मनोरम स्थान है। यहां हिमालय और गंगा के दर्शन करना बहुत ही अद्भुत अनुभव रहेगा। यहां पर आप बंजी जंपिंग भी कर सकते हैं। ऋषि केश से करीब 25 किलोमीटर दूर मोहनचट्टी में पेशेवर तरीके से बंजी जंपिंग कराई जाती है। जंपिंग हाइट्स नामक कंपनी द्वरा यहां पर जंपिंग कराई जाती है। मोहनचट्टी में भारत की सबसे ऊंची फिक्स्ड प्लेटफार्म वाला बंजी जंपिंग स्टेशन है। करीब 83 मीटर ऊंचा प्लेटफार्म है। हरिद्वार और ऋषिकेश में घूमने का मौसम मार्च से जून माह के बीच में घूम सकते हैं।
3. मुक्तेश्वर हिल स्टेशन टेम्पल: कुमाऊं की पहाड़ियों में बसा मुक्तेश्वर उत्तराखंड का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जो दिल्ली से करीब 350 किलोमीटर की दूरी पर और नैनिताल से करीब 48 किलोमीटर दूर स्थित है। करीबी रेलवे स्टेशन काठगोदाम और करीबी हवाई अड्डा पंतनगर में है। यहां से टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। मुक्तेश्वर प्रसिद्ध है यहां के महादेव मंदिर के लिए भी। यहां भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर है जो एक पहाड़ी पर स्थित है। यहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मंदिर के बाहर बंदरों को काफी संख्या में देखा जा सकता है। प्रकृति और पहाड़ों की गोद में बसा मुक्तेश्वर में हर समय सुहाना या कहें की रूमानी मौसम रहता है। यहां मार्च से जून के बीच या फिर अक्टूबर से नवंबर के बीच जाने ज्यादा अच्छा रहेगा।
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4. धारी देवी: उत्तराखंड की सुंदरता और आध्यात्मिक महत्ता के बीच एक ऐसा रहस्यमयी स्थल है, जो हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर खींचता है। यह जगह है धारी देवी मंदिर जो डांग चौरा में स्थित है। यहाँ की सबसे बड़ी खासियत है देवी की पत्थर की मूर्ति का दिन के अलग-अलग समय में बदलना। यह मंदिर माँ काली के अवतार को समर्पित है, जिन्हें यहां धारी देवी के रूप में पूजा जाता है।धारी देवी की मूर्ति का एक अनोखा पहलू यह है कि दिन के समय के अनुसार यह मूर्ति बदलती रहती है। धारी देवी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और ऐतिहासिक तथ्य प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले, एक बड़ी बाढ़ के बाद देवी की मूर्ति अलकनंदा नदी के किनारे मिली थी। ग्रामीणों ने इसे श्रद्धा से एक स्थान पर स्थापित किया, जहां यह मंदिर अब स्थित है। देवी की मूर्ति को छेड़ना या स्थानांतरित करना अपशकुन माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार, 2013 में जब धारी देवी की मूर्ति को मंदिर से हटाया गया था, उसी दिन उत्तराखंड में विनाशकारी केदारनाथ त्रासदी हुई थी। डांग चौरा में स्थित धारी देवी मंदिर पहुँचने के लिए निकटतम शहर श्रीनगर (गढ़वाल) है, जो सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप यहां देहरादून, ऋषिकेश या हरिद्वार से आसानी से पहुंच सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और निकटतम हवाई अड्डा जॉलीग्रांट एयरपोर्ट देहरादून में स्थित है।
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5. नंदादेवी: उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के तपोवन क्षेत्र में नंदा देवी का सबसे ऊंचा पहाड़ है। नंदादेवी के दोनों ओर ग्लेशियर यानी हिमनद हैं। इन हिमनदों की बर्फ पिघलकर एक नदी का रूप ले लेती है। उत्तराखंड के लोग नंदादेवी को अपनी अधिष्ठात्री देवी मानते हैं और यहां की लोककथाओं में उन्हें हिमालय की पुत्री कहा गया है, अर्थात वे माता पार्वती हैं। नंदा देवी पर्वत भारत की दूसरी एवं विश्व की 23वीं सर्वोच्च चोटी है। यहां तक पहुंचने के लिए प्रत्येक 12 वर्ष में एक धार्मिक यात्रा का आयोजन होता है प्रतिवर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में नंदादेवी मेला प्रारंभ होता है। नंदादेवी की यह ऐतिहासिक यात्रा चमोली जनपद के नौटी गांव से शुरू होती है जो रूपकुंड होकर हेमकुंड तक जाती है जो 18 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है।
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