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Last Updated : बुधवार, 15 दिसंबर 2021 (17:57 IST)

कोलकाता : कालीघाट की काली मां का मंदिर और दक्षिणेश्वरी काली मां

कोलकाता : कालीघाट की काली मां का मंदिर और दक्षिणेश्वरी काली मां - Kolkata : Kalighat Kali maa Temple and Dakshineshwar Kali maa
असम और बंगाल माता दुर्गा के अधिकतर शक्तिपीठों का स्थान है। कोलकाता में कालीघाट स्थित कालीपीठ है जहां पर हुगली नदी के तट पर माता कालिका का प्रसिद्ध मंदिर है जिसे दक्षिणेश्वर काली मंदिर भी कहते हैं। आओ जानते हैं इस मंदिर के बारे में खास जानाकारी।
 
 
दक्षिणेश्वर काली (Dakshineswari Kali Temple) : मां काली के चार रूप है- दक्षिणा काली, शमशान काली, मातृ काली और महाकाली। पश्चिम बंगाल कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था। इसकी शक्ति है कालिका और भैरव को नकुशील कहते हैं। इसे दक्षिणेश्वर काली मंदिर कहते हैं। दक्षिणेश्वर काली मन्दिर उत्तर कोलकाता में, बैरकपुर में, विवेकानन्द सेतु के कोलकाता छोर के निकट, हुगली नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जो हिन्दू देवी काली माता ही है। यह कई मायनों में, कालीघाट मंदिर के बाद, सबसे प्रसिद्ध काली मंदिर है।
 
 
कालीपीठ कोलकता कालिका शक्तिपीठ (Kalighat Kali maa Temple): देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार कालीपीठ कोलकाता, पश्‍चिम बंगाल शक्तिपीठ के बारे में जानकारी। मां काली को देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक माना जाता है।
 
 
रामकृष्ण परमहंस की आराध्या देवी मां कालिका का कोलकाता में विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। कुछ की मान्यता अनुसार कि इस स्थान पर सती देह की दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थी। इसलिए यह सती के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। इस स्थान पर 1847 में जान बाजार की महारानी रासमणि ने मंदिर का निर्माण करवाया था। 25 एकड़ क्षेत्र में फैले इस मंदिर का निर्माण कार्य सन् 1855 पूरा हुआ। कोलकाता के उत्तर में विवेकानंद पुल के पास स्थित इस पूरे क्षेत्र को कालीघाट कहते हैं।