1. सोमनाथ मंदिर: 12 ज्योतिर्लिगों में से एक सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग को पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। पावन प्रभास क्षेत्र में स्थित इस सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कंद पुराणादि में विस्तार से बताई गई है। चन्द्रदेव का एक नाम सोम भी है। उन्होंने भगवान शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहां तपस्या की थी इसलिए इसका नाम 'सोमनाथ' हो गया।
2. भालका तीर्थ : सोमनाथ के प्रभाष क्षेत्र में ही भगवान श्रीकृष्ण ने एक वृक्ष के नीचे अपनी देह का त्याग कर दिया था। उस जगह को भालका तीर्थ कहा जाता है।
3. द्वारिका धाम : भारत के गुजरात राज्य के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे स्थित 4 धामों में से 1 धाम और 7 पवित्र पुरियों में से एक पुरी है द्वारिका। यहां पर श्रीकृष्ण का एक प्राचीन मंदिर है और समुद्र में डूबी हुई द्वारका नगरी। द्वारिका 2 है- गोमती द्वारका, बेट द्वारिका। गोमती द्वारका धाम है, बेट द्वारका पुरी है। बेट द्वारका के लिए समुद्र मार्ग से जाना पड़ता है। द्वारिकाधीश मंदिर से लगभग 2 किमी दूर एकांत में रुक्मिणी का मंदिर है। कहते हैं, दुर्वासा के शाप के कारण उन्हें एकांत में रहना पड़ा।
4. पावागढ़ : यह बड़ौदा के पास हलोल में स्थित है। पावागढ़ एक छोटा हिल स्टेशन है जहां पर माता कालिका का प्राचीन मंदिर है। पावागढ़ को विश्व विरासत स्थल का दर्जा भी मिल चुका है। चंपानेर पावागढ़ पुरातत्व पार्क, पावागढ़ हिल, कालिका माता मंदिर, पावागढ़ मंदिर, माची हवेली और सदन शाह पीर दरगाह यहां के प्रमुख दार्शनिक स्थल हैं।
5. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान दसवां है। ज्योतिर्लिंग पर ही एक चांदी के नाग की आकृति बनी हुई है। ज्योतिर्लिंग के पीछे माता पार्वती की मूर्ति स्थापित है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के परिसर में 125 फीट ऊंची तथा 25 फीट चौड़ी भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में एक बड़ी ही मनमोहक अति विशाल प्रतिमा है।
6. नीलकंठ धाम : बड़ौदा के बाद पोइचा में नीलकंठ धाम देखने लायक जगह है। यहां पर स्वामी नारायण संप्रदाय का विशालकाय मंदिर है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलकंठ धाम में वह सब कुछ है जो हमें आकर्षित करता है। यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर, प्रदर्शनी स्थल के साथ ही नर्मदा नदी के दूसरे छोर पर स्थित कुबेर मंदिर पर जाना भी नहीं भूलते।
Somnath Mandir Jyotirling
7. चंद्रभागा शक्तिपीठ: गुजरात के प्रभास क्षेत्र में कपिला, हिरण्या एवं सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम के निकट माता शमशान भूमि के निकट सोमनाथ मांदिर के समीप सती के 52 शक्तिपीठों में से एक चंद्रभागा शक्ति पीठ स्थित है। गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर के निकट वेरावल स्टेशन से 4 किमी प्रभास क्षेत्र में माता का उदर/आमाशय गिरा था। इसकी शक्ति है चंद्रभागा और भैरव को वक्रतुंड कहते हैं।
8. अंबाजी मंदिर : गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित विख्यात तीर्थस्थल अम्बाजी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है तथा यहां वर्षपर्यंत भक्तों का रेला लगा रहता है। यहां मां का एक श्रीयंत्र स्थापित है। शक्तिस्वरूपा अंबाजी देश के अत्यंत प्राचीन 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मां अंबाजी मंदिर गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित है। मंदिर से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर गब्बर नामक पहाड़ है। इस पहाड़ पर भी देवी मां का प्राचीन मंदिर स्थापित है।
9. डाकोर का मंदिर : गुजरात के डाकोर शहर में स्थित कृष्ण मंदिर को रणछोड़दास का मंदिर भी कहा जाता है। यहां का यह मंदिर सभी भक्तों के बीच बहुत ही प्रसिद्ध है। इस स्थान की गिनती हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थानों में की जाती है। भक्तों के लिए रणछोड़ मंदिर का महत्व वैसा ही है, जैसा द्वारका स्थित द्वारकाधीश मंदिर का। दोनों ही मंदिरों में कृष्ण भगवान की मूर्तियां भी श्याम रंग के पत्थर से ही बनाई गई हैं। प्रत्येक वर्ष विशेषकर पूर्णिमा के अवसर पर लाखों की तादाद में श्रद्धालु डाकोर में दर्शन के लिए आते हैं। डाकोर में मुख्य उत्सव कार्तिक, चैत्र, फागुन और आश्विन पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित किए जाते हैं।
10. पालिताना : गुजरात के भावनगर जिला में शत्रुंजय नदी के तट पर स्थित जैन धर्म का तीर्थ स्थान है। यह भावनगर शहर से 50 किमी. दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। यहाँ 900 से भी अधिक जैन मंदिर हैं। पालीताना शत्रुंजय तीर्थ का जैन धर्म में बहुत महत्त्व है।