रविवार, 13 अक्टूबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. Benefits of Kedarnath Yatra
Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : शुक्रवार, 10 मई 2024 (15:17 IST)

केदारनाथ की यात्रा से क्या शुभ फल मिलते हैं?

केदारनाथ की यात्रा से क्या शुभ फल मिलते हैं? - Benefits of Kedarnath Yatra
Kedarnath Yatra 2023: उत्तराखंड में मई माह से छोटा चार धाम की यात्रा प्रारंभ होती है। इसमें केदारनाथ की यात्रा भी होती है। केदारनाथ की यात्रा सही मायने में हरिद्वार या ऋषिकेश से आरंभ होती है। हरिद्वार से सोनप्रयाग 235 किलोमाटर और सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 किलोमाटर आप सड़क मार्ग से किसी भी प्रकार की गाड़ी से जा सकते हैं। गौरीकुंड से आगे लगभग 16 किलोमाटर का रास्ता आपको पैदल ही चलना होगा या आप पालकी या घोड़े से भी जा सकते हैं। अधिकतर लोग सोनप्रयाग या गौरीकुंड में रुकते हैं। जानते हैं यात्रा का फल।
 
- भगवान शिव मुक्ति देने वाले हैं। वे ही जन्म देने वाले, पालनहार और संहारक भी हैं। उनके दर पर दान मिलता है तो मृत्युदंड भी। वे ही आदि, अंत और अनंत परब्रह्म हैं। संपूर्ण धरती पर सभी धर्मों के लोग उनको ही किसी न किसी रूप में पूजते या उनकी प्रार्थना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि चार धाम यात्रा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
 
- केदारनाथ में शिव का रुद्ररूप निवास करता है, इसलिए इस संपूर्ण क्षेत्र को रुद्रप्रयाग कहते हैं। केदारनाथ का मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के रुद्रप्रयाग नगर में है। यहां भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। देश के बारह ज्योतिर्लिगों में सर्वोच्च है केदारनाथ धाम। मानो स्वर्ग में रहने वाले देवताओं का मृत्युलोक को झांकने का यह झरोखा हो। धार्मिक ग्रंथों अनुसार बारह ज्योतिर्लिंगों में केदार का ज्योतिर्लिंग सबसे ऊंचे स्थान पर है। 
 
- मान्यता है कि समूचा काशी, गुप्तकाशी और उत्तरकाशी क्षेत्र शिव के त्रिशूल पर बसा है। यहीं से पाताल और यहीं से स्वर्ग जाने का मार्ग है।  शिव पुराण के अनुसार मनुष्य यदी बदरीवन की यात्रा करके नर तथा नारायण और केदारेश्वर शिव के स्वरूप का दर्शन करता है, नि:सन्देह उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है।
 
- ऐसा मनुष्य जो केदारनाथ ज्योतिर्लिंग में भक्ति-भावना रखता है और उनके दर्शन के लिए अपने स्थान से प्रस्थान करता है, किन्तु रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो जाती है, जिससे वह केदारेश्वर का दर्शन नहीं कर पाता है, तो समझना चाहिए कि निश्चित ही उस मनुष्य की मुक्ति हो गई।
- शिव पुराण के अनुसार केदारतीर्थ में पहुंचकर, वहां केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन कर जो मनुष्य वहां का जल पी लेता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता है।
 
केदारेशस्य भक्ता ये मार्गस्थास्तस्य वै मृता:।
तेऽपि मुक्ता भवन्त्येव नात्र कार्य्या विचारणा।।
तत्वा तत्र प्रतियुक्त: केदारेशं प्रपूज्य च।
तत्रत्यमुदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विन्दति।।
 
- स्कंद पुराण में भगवान शंकर, माता पार्वती से कहते हैं, हे प्राणेश्वरी! यह क्षेत्र उतना ही प्राचीन है, जितना कि मैं हूं। मैंने इसी स्थान पर सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा के रूप में परब्रह्मत्व को प्राप्त किया, तभी से यह स्थान मेरा चिर-परिचित आवास है। यह केदारखंड मेरा चिरनिवास होने के कारण भूस्वर्ग के समान है।
 
- भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ़ संकल्प देखकर प्रसन्न हो गए थे। तब उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को युद्ध के पाप से पापमुक्त कर दिया था। उसी समय से भगवान शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं। जो भी इनकी पूजा करता है वह पापमुक्त हो जाता है।