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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : शनिवार, 11 जनवरी 2020 (14:38 IST)

बटेश्वर के 200 मंदिरों का रहस्य, किसने नष्ट किया इन्हें?

bateshwar group of temples | बटेश्वर के 200 मंदिरों का रहस्य, किसने नष्ट किया इन्हें?
मध्यप्रदेश के मुरैना शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर चंबल के जंगलों में 200 विशालकाय मंदिरों को एकसाथ देखकर अद्भुत ही लगता है। भारतवर्ष में संभवतः कहीं भी अन्यत्र इतने मंदिर एक साथ नहीं दिखते हैं। इनमें से अधिकतर मंदिर अब खंडहर में बदल गए हैं। पुरातात्विक खोज के अनुसार यह मंदिर लगभग चौथी सदी में बनाए गए थे। हालांकि कुछ इतिहाकारों के अनुसार इनका निर्माण 7वीं से 10वीं सदी के बीच में किया गया था।
 
 
कहते हैं कि इन मंदिरों की यह हालत देखकर लगाता है कि इन्हें आक्रांताओं ने नष्ट किया होगा लेकिन कुछ इतिहासकार मानते हैं कि संभवत: भूकंप के कारण इनमें से कुछ मंदिर ध्वस्त हो गए हों। इस क्षेत्र का उल्लेख ऐतिहासिक साहित्य में धरोण या परवली (पड़ावली) के रूप में किया गया है। मंदिरों के समूह के लिए स्थानीय नाम बटेश्वर मंदिर हैं। कहते हैं कि भारतीयों ने सटीक वास्तु शास्त्र और ज्यामितीय नियमों का प्रयोग करते हुए ऐसे भव्य मंदिरों का निर्माण किया था जिन्हें देखकर देखने वाले दांतों तले अंगुलियां दबा लें।
 
 
बटेश्वर के मंदिरों का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासकों द्वारा कराया गया था। गुर्जर प्रतिहार शासक सूर्यवंशी थे और वे स्वयं को भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण का वंशज मानते थे। बलुआ पत्थरों से बने 25 एकड़ में फैले इन हिन्दू मंदिरों में से अधिकांश मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां मंदिरों के बीच हनुमानजी की एक ऐसी भी प्रतिमा है जिनमें वे अपने पैरों से कामदेव और रति को कुचलते हुए दिखाई देते हैं।
 
सबसे पहले सन् 1882 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा साइट को नामांकित किया गया। फिर एक कला इतिहासकार और भारतीय मंदिर वास्तुकला में विशेषज्ञता रखने वाले एक प्रोफेसर माइकल मीस्टर ने यहां का सर्वेक्षण किया। कई विद्वानों ने इस साइट का अध्ययन किया। उदाहरण के लिए फ्रेंच पुरातत्त्ववेत्ता ओडेट वियॉन ने 1968 में एक पत्र प्रकाशित किया था जिसमें संख्याबद्ध बटेश्वर मंदिरों की चर्चा और चित्र सम्मिलित थे। अंत में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस क्षेत्र को नामांकित किया गया।
 
 
2005 में भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा शुरू की गई एक परियोजना में, खंडहर के पत्थरों से मंदिर को पुनर्निर्मित किया गया। इस योजना में करीब 60 मंदिरों को सुधारा गया। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अनुसार बट्टेश्वर मंदिर और परिसर 'संस्कृत हिंदू मंदिर वास्तुकला ग्रंथों, मानसारा शिल्पा शास्त्र, चौथी शताब्दी में बनाए गए वास्तुशिल्प सिद्धांतों और 7वीं शताब्दी सीई में लिखित मयमत वास्तु शास्त्र' के आधार पर बनाया गया था।

चित्र सोर्स : विकिपीडिया
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