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Written By WD

पण्डोखर महाराज का दावा, लाइलाज का इलाज

Guru ji- Shri Pandokhar Sarkar : Pandokhar Dham | पण्डोखर महाराज का दावा, लाइलाज का इलाज
- श्रुति अग्रवाल
आस्था और अंधविश्वास की गलियों में भटकते हुए हम हर दिन एक नए अनुभव से गुजरते हैं। कुछ पर कभी विश्वास होता है तो कुछ पूरी तरह से बकवास लगते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ। जी हाँ, इस बार की कड़ी में रूबरू होइए पण्डोखधा१००श्रगुरुशरमहारासेगुरुशरमहाराका दावा है कि वे किसी भी तरह की शारीरिक विकलांगता से बाधित व्यक्ति को ठीक कर सकते हैं।

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यह सुनते ही हमने रुख किया पण्डोखर महाराज के दरबार की ओर। बुंदेलखंड के छोटे से पण्डोखर नामक गाँव के यह बाबा अपना कारवाँ लेकर शहर-शहर दरबार लगाए रहते हैं। इस बार उनका दरबार इंदौर में लगा था। बाबा के दरबार की शुरुआत हुई मरीज को आपने पास बुलाने से। उसके बाद बाबा ने मरीज से कुछ प्रश्न किए।

प्रश्नों का जवाब सुनने के बाद बाबा ने मरीज को एक कागज दिखाया। कागज पर कुछ ब्योरा पहले से ही लिखा हुआ था। बाबा ने अपने अंदाज में मरीज को भरोसा दिलाया कि वे उसके बारे में पहले से ही जानते थे। मरीज को पण्डोखर हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त है। वह जल्द ही ठीक हो जाएगा। इसके बाद किसी भी शारीरिक विकलांग व्यक्ति को तुरंत चलने के लिए कहा जाता है।

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हमारे सामने ही जोश और उत्तेजना से भरे कुछ मरीज चलने लगे, कुछ लड़खड़ाए और गिर गए। बाबा का दावा था कि विकलांग मरीज पण्डोखर हनुमानजी की कृपा से जल्द ठीक हो जाएँगे। यही पण्डोखर महाराज का आशीर्वाद है, लेकिन इसके लिए मरीज को चार से पाँच अमावस्या तक उनके पास आना होगा।

मरीज के आने-जाने का यह सिलसिला यूँ ही चल रहा था कि एक व्यक्ति फूलमाला लेकर मंच पर चढ़ा। रामभाव राजौरिया नामक इस व्यक्ति ने दावा किया कि पहले मैं चल-फिर नहीं पाता था, लेकिन एक बार बाबा के दरबार में आया। बाबा ने मुझे बैसाखी छोड़कर चलने को कहा और बस मैं चलने लगा। पहले लड़खड़ाते हुए चलना शुरू किया, अब अच्छे से चलने लगा हूँ।

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बाबा अपने हर अनुयायी को रक्षा सूत्र पहनने और लगातार चार या पाँच अमावस्या तक उनके पास आने के लिए कहते हैं। बाबा का कहना है कि ठीक होने के लिए इतनी बार उनके दरबार में आना जरूरी है। यह बाबा जितने भी दावे कर लें, लेकिन डॉक्टर इन दावों को सिरे से नकारते हैं। आर्थोसर्जन डॉक्टर जयेश शाह ने वेबदुनिया को बाताया कि कई बार बार उत्तेजना में व्यक्ति खड़ा हो जाता है, कुछ कदम चल भी लेता है, लेकिन इसका परिणाम और खराब होता है।

यदि रीढ़ की हड्डी पर जरूरत से ज्यादा दबाव पड़ गया तो हो सकता है कि वह व्यक्ति जिंदगीभर के लिए अपंग हो जाए। वहीं कई बार ऐसे मनोरोगी जो किसी मानसिक परेशानी के चलते स्वयं को अपंग महसूस करते हैं, वे उत्तेजना के कारण ठीक हो सकते हैं, लेकिन ऐसे केस हजारों में एक होते हैं। ये तो रही डॉक्टरों की तजरीह। आप इस संबंध में क्या सोचते हैं, हमें जरूर बताइएगा।