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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 28 अगस्त 2025 (09:16 IST)

मिच्छामि दुक्कड़म् 2025: संवत्सरी महापर्व पर अपनों को भेजें दिल को छू लेने वाले ये 10 क्षमायाचना संदेश

Paryushan Parv 2025
Samvatsari Micchami Dukkadam Messages: 'मिच्छामि दुक्कड़म्' जैन धर्म की एक अत्यंत पवित्र और भावनात्मक परंपरा है, जो 'संवत्सरी महापर्व' के अंतिम दिन बोली जाती है। यह वाक्य मात्र एक औपचारिक अभिवादन नहीं, बल्कि 'सच्चे हृदय से क्षमा याचना' का भाव है। हमारे जीवन में मानवीय भूल के चलते हम न चाहते हुए भी किसी न किसी का दिल दुखा ही देते हैं, अत: संवत्सरी महापर्व के पावन अवसर पर, आइए अपने मन को हल्का करें और उन सभी से क्षमा मांगें, जिन्हें हमने जाने-अनजाने में दुख पहुंचाया है। ये 10 संदेश आपके दिल की बात अपनों तक पहुंचाने में मदद करेंगे।ALSO READ: जैन पर्युषण पर्व पर भेजें ये सुंदर 10 स्टेटस
 
मिच्छामि दुक्कड़म् 2025: पढ़ें 10 क्षमा संदेश
 
1. मन, वचन और काया से, 
अगर मैंने कभी आपका दिल दुखाया हो, 
तो इस संवत्सरी महापर्व पर 
मैं हाथ जोड़कर आपसे क्षमा मांगता/मांगती हूं। 
मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
2. साल भर में हुई गलतियों के लिए, 
और मेरी हर भूल के लिए, 
मैं आपसे हृदय से क्षमा मांगता/मांगती हूं। 
मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
3. क्षमा वीरों का भूषण है। 
इस पवित्र दिन पर,
मेरी सभी गलतियों को क्षमा कर दें 
और मुझे अपने दिल में जगह दें। 
मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
4. अगर मेरे किसी शब्द से, 
या मेरे किसी व्यवहार से, 
आपको ठेस पहुँची हो, 
तो मैं सच्चे दिल से आपसे माफी चाहता/चाहती हूं। 
मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
5. यह क्षमा का पर्व है, 
और मैं अपने सभी बैर भाव को छोड़ कर 
आपसे माफी चाहता/चाहती हूं। 
मुझे उम्मीद है, आप मुझे क्षमा करेंगे। 
 
6. जैसे सूरज निकलने पर अंधेरा मिट जाता है, 
वैसे ही यह पर्व हमारे मन से 
सभी मनमुटाव को मिटा दे। 
मेरी तरफ से आपको मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
7. रिश्ते धागों से नहीं, 
बल्कि विश्वास और माफी से बनते हैं। 
मेरी सभी गलतियों को भुलाकर मुझे माफ कर दें। 
मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
8. संवत्सरी का पावन दिन है, 
क्षमा और दया का भाव मन में है। 
मेरी सारी गलतियां भूलकर, 
मुझे क्षमा कर देना। मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
9. अगर मैंने कभी आपकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई हो, 
तो मैं आज आपसे क्षमा मांगता/मांगती हूं। 
हमारी दोस्ती हमेशा बनी रहे। 
मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
10. इस पर्व पर, मैं अपने सभी अपनों को याद करता/करती हूं 
और दिल से कहता/कहती हूं - जो कुछ भी
बुरा किया हो, वह सब माफ कर देना।
मिच्छामि दुक्कड़म्!
 
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