मीराँ दातार
श्रद्धा, भाईचारा का प्रतीक
एक ऐसा स्थल, जहाँ मुस्लिमबंधु और हिन्दू दोनों दुआ माँग कर धर्म की दहलीज को एक करते हुए अपने को खुशनसीब मानते हैं। आइए धर्मयात्रा की इस कड़ी में गुजरात के उनावा गाँव मीराँ दातार की पवित्र दरगाह पर चलें।फोटो गैलरी देखने के लिए क्लिक करें-उत्तर गुजरात की ऑइल सिटी मेहसाणा से पालनपुर हाइवे पर 19 किमी दूर एक छोटा-सा गाँव है- उनावा। इस कृषि प्रधान गाँव में स्थित है हजरत मीराँ सैयद अली दातार की पवित्र दरगाह, जिसके कारण यह गाँव देश-विदेश में पहचान बनाए हुए है।
गाँव के प्रवेश द्वार पर 600 साल पुरानी सैयद मीराँ दातार की इस दरगाह में मुस्लिम ही नहीं हिन्दू लोग भी बहुत आस्था रखते हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि यहाँ शीश टेकने से भूत-प्रेत सहित कई अन्य बीमारियाँ दूर होती हैं और जो मन्नत माँगी जाए वह पूरी होती है। दरगाह में प्रवेश करते ही मन में एक अजीब-सी पवित्र अनुभूति होती है।इस दरगाह के प्रति लोगों की अटूट आस्था की तरह इसका इतिहास भी विशेष महत्व रखता है। एक हिन्दू कवि शाह सोरठ ने सैयद अली को मीराँ दातार का नाम दिया था। मीराँ यानी मानव जाति को प्रेम करने वाला और दातार का अर्थ होता है दानवीर। तब से सैयद अली मीराँ दातार के नाम से जाने जाते हैं।