चमत्कारी और सिद्ध है महामृत्युंजय मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र संपूर्ण वेदोक्त संस्कृत पाठ
mahamritunjay mantraश्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायक है। महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। अधिकतर लोग इसे आपदा, बीमारी में रक्षा और मरणासन्न व्यक्ति की जान बचाने के लिए प्रयोग में लाता है। लेकिन सावन मास में हर तरह की उपासना के लिए इस मंत्र का जप किया जाता है। महामृत्युंजय जपविधि - (मूल संस्कृत में)कृतनित्यक्रियो जपकर्ता स्वासने पांगमुख उदहमुखो वा उपविश्य धृतरुद्राक्षभस्मत्रिपुण्ड्रः । आचम्य । प्राणानायाम्य। देशकालौ संकीर्त्य मम वा यज्ञमानस्य अमुक कामनासिद्धयर्थ श्रीमहामृत्युंजय मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमहंकरिष्ये वा कारयिष्ये।महामृत्युंजय मंत्र प्राण प्रतिष्ठा आह्वानॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ गुरवे नमः।ॐ गणपतये नमः। ॐ इष्टदेवतायै नमः।इति नत्वा यथोक्तविधिना भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च कुर्यात्।
महामृत्युंजय मंत्र विनियोगःॐ तत्सदद्येत्यादि मम अमुक प्रयोगसिद्धयर्थ भूतशुद्धिं प्राण प्रतिष्ठां च करिष्ये। ॐ आधारशक्ति कमलासनायनमः। इत्यासनं सम्पूज्य। पृथ्वीति मंत्रस्य। मेरुपृष्ठ ऋषि;, सुतलं छंदः कूर्मो देवता, आसने विनियोगः।महामृत्युंजय मंत्र आसनःॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।त्वं च धारय माँ देवि पवित्रं कुरु चासनम्।गन्धपुष्पादिना पृथ्वीं सम्पूज्य कमलासने भूतशुद्धिं कुर्यात्।अन्यत्र कामनाभेदेन। अन्यासनेऽपि कुर्यात्।