कालसर्प दोष के लक्षण और आसान अचूक उपाय...
कालसर्प दोष को लेकर लोगों में काफी भय और आशंका-कुशंकाएं रहती हैं, लेकिन कुछ आसान और अचूक उपायों से इसके असर को कम किया जा सकता है। कोई इसे कालसर्प दोष कहता है तो कोई योग। कोई इसे मानता है और कोई नहीं, लेकिन कुंडली के शोध से पता चलता है कि जिनकी भी कुंडली में यह दोष पाया गया है, उसका जीवन या तो रंक जैसे गुजरता है या फिर राजा जैसा।आखिर कालसर्प दोष है क्या, कैसा होता है और इसका उपाय क्या है? यह समझना भी जरूरी है। पुराने ज्योतिष शास्त्रों में कालसर्प दोष का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन आधुनिक ज्योतिष में इसे पर्याप्त स्थान दिया गया है, लेकिन विद्वानों की राय भी इस बारे में एक जैसी नहीं है। मूलत: सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने को कालसर्प दोष माना जाता है।राहू का अधिदेवता 'काल' है तथा केतु का अधिदेवता 'सर्प' है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो 'कालसर्प' दोष कहते हैं। राहू-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चंद्रमार्गी।
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ज्योतिषी शास्त्रों के अनुसार कालसर्प दोष 12 प्रकार के बताए गए हैं- 1.
अनंत2.
कुलिक3.
वासुकि4.
शंखपाल5.
पद्म6.
महापद्म7.
तक्षक8.
कर्कोटक9.
शंखनाद10.
घातक11.
विषाक्त12.
शेषनाग अगले पन्ने पर, कुंडली में कालसर्प दोष...
कुंडली में 12 तरह के कालसर्प दोष होने के साथ ही राहू की दशा, अंतरदशा में अस्त-नीच या शत्रु राशि में बैठे ग्रह मारकेश या वे ग्रह जो वक्री हों, उनके चलते जातक को कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस योग के चलते जातक असाधारण तरक्की भी करता है, लेकिन उसका पतन भी एकाएक ही होता है।किसी कुंडली के जानकार व्यक्ति से ही कालसर्प दोष का निवारण कराया जाना चाहिए।
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1.
बाल्यकाल में किसी भी प्रकार की बाधा का उत्पन्न होना। अर्थात घटना-दुर्घटना, चोट लगना, बीमारी आदि का होना।2.
विद्या अध्ययन में रुकावट होना या पढ़ाई बीच में ही छूट जाना। पढ़ाई में मन नहीं लगना या फिर ऐसी कोई आर्थिक अथवा शारीरिक बाधा जिससे अध्ययन में व्यवधान उत्पन्न हो जाए। 3.
विवाह में विलंब भी कालसर्प दोष का ही एक लक्षण है। यदि ऐसी स्थिति दिखाई दे तो निश्चित ही किसी विद्वान ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिए। इसके साथ ही इस दोष के चलते वैवाहिक जीवन में तनाव और विवाह के बाद तलाक की स्थिति भी पैदा हो जाती है।4.
एक अन्य लक्षण कालसर्प दोष है संतान का न होना और यदि संतान हो भी जाए तो उसकी प्रगति में बाधा उत्पन्न होती है।
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5.
परिजन तथा सहयोगी से धोखा खाना, खासकर ऐसे व्यक्ति जिनका आपने कभी भला किया हो।6.
घर में कोई सदस्य यदि लंबे समय से बीमार हो और वह स्वस्थ नहीं हो पा रहा हो साथ ही बीमारी का कारण पता नहीं चल रहा है।7.
आए दिन घटना-दुर्घटनाएं होते रहना।8.
रोजगार में दिक्कत या फिर रोजगार हो तो बरकत न होना।
घर-परिवार की ये समस्याएं भी लक्षण हैं कालसर्प दोष का...आगे पढ़ें...
9.
इस दोष के चलते घर की महिलाओं को कुछ न कुछ समस्याएं उत्पन्न होती रहती हैं।10.
रोज घर में कलह का होना। पारिवारिक एकता खत्म हो जाना।11.
घर-परिवार मांगलिक कार्यों के दौरान बाधा उत्पन्न होना।12.
यदि परिवार में किसी का गर्भपात या अकाल मृत्यु हुई है तो यह भी कालसर्प दोष का लक्षण है।13.
घर के किसी सदस्य पर प्रेतबाधा का प्रकोप रहना या पूरे दिन दिमाग में चिड़चिड़ापन रहना।
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त्र्यम्बकेश्वर इस दोष से मुक्ति का सबसे उत्तम स्थान माना गया है, जहां शांतिकर्म किया जाता है। इसके अलावा भी किसी पवित्र नदी के तट पर तीर्थस्थान में शिव सान्निध्य में प्रयोग किए जा सकते हैं, लेकिन हर व्यक्ति की सामर्थ्य इस कार्य को करने की नहीं होती, क्योंकि समय ज्यादा लगता है तथा यह काफी खर्चीला कार्य भी है। इसके अतिरिक्त इन कुछ सरल उपायों से भी व्यक्ति अपने दुख तथा समस्याओं में कमी कर सकता है-1.
राहू तथा केतु के मंत्रों का जाप करें या करवाएं-राहू मंत्र : ।। ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ।।केतु मंत्र : ।। ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:।।
नाग गायत्री मंत्री भी देता है राहत...पढ़ें अगले पेज पर....
2.
सर्प मंत्र या नाग गायत्री के जाप करें या करवाएं- सर्प मंत्र : ।। ॐ नागदेवताय नम: ।।नाग गायत्री मंत्र : ।। ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।।3.
ऐसे शिवलिंग (शिव मंदिर में) जहां शिवजी पर नाग न हो, प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं।
और क्या हैं खास उपाय...पढ़ें अगले पेज पर....
4.
श्रीमद भागवत और श्री हरिवंश पुराण का पाठ करवाते रहें।5.
दुर्गा पाठ करें या करवाएं।6.
भैरव उपासना करें।7.
श्री महामत्युंजय मंत्र का जाप करने से राहू-केतु का असर खत्म होगा।
अगले पन्ने पर कुछ और अचूक लेकिन सरल उपाय...
8.
राहू-केतु के असर को खत्म करने के लिए रामबाण है- पाशुपतास्त्र का प्रयोग। 9.
पितृ शांति का उपाय करें।10.
घर में फिटकरी, समुद्री नमक तथा देशी गाय का गौमूत्र मिलाकर रोज पोंछा लगाएं तथा गुग्गल की धूप दें।11.
नागपंचमी को सपेरे से नाग लेकर जंगल में छुड़वाएं।12.
घर में बड़ों का आशीर्वाद लें तथा किसी का दिल न दुखाएं और न अपमान करें।