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Written By WD

शादी के बाद याद आए पुराना प्यार

प्यार
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वह पुराना दौर गुजरता जा रहा है, जिसमें माँ-बाप द्वारा तय संबंध स्थिर रह जाते थे। संक्रमणकाल से गुजरते समाज में नई परंपराओं, नए मूल्यों और नए आदर्शों में सबसे विषम परिस्थितियों का अनुभव करने वाला युवा वर्ग ही होता है। आज बढ़ती पढ़ाई-लिखाई, सामाजिक गतिशीलता और खुलेपन से विपरीत लिंगी युवा संपर्क में आते हैं। फलतः उनके बीच कुछ स्वाभाविक से संबंध पनप जाते हैं।

इसे प्यार कहें या कुछ और पर कई बार कुछ असंतुलन की स्थिति निर्मित होती है क्योंकि एक पक्ष अपने को व्यवहारिक बुद्धि मानते हुए समाज यानी अपने माता-पिता के पक्ष में चला जाता है और दूसरा पक्ष पुरानी बातों में सच्चाई ढूँढने का काल्पनिक प्रयास करता है।

टूटा हुआ दिल बार-बार खुद से प्रश्न करता है कि यदि यह सच है तब वह क्या था? दूसरा पक्ष उसे समझाता है वह भी सच था, यह भी सच है। सांत्वना पुरस्कार के रूप में दूसरा शख्स उसे उस प्यार के बदले दोस्ती ऑफर करता है। यहीं पर ज्वलंत सामाजिक प्रश्न उत्पन्न हो जाता है कि क्या एक तरफ आकर्षण, दूसरी तरफ विश्वास के नाते विवाह को साथ में जारी रखा जा सकता है।

बैंक में कार्यरत पवन मुरालिया कहते हैं कि 'विवाह दो लोगों का साथ में जिंदगी गुजारने का संकल्प है। किसी भी संकल्प को झूठ के साथ नहीं लिया जा सकता है। हाँ, आप यह जरूर कर सकते हैं कि शादी से पहले एक मीटिंग में अपने जिंदगी के तीसरे महत्वपूर्ण व्यक्ति को दोस्त के नाते अपने भावी जीवनसाथी की मुलाकात करवा सकते हैं।

यदि आपके साथी को उसके साथ संबंध मंजूर हैं तब कोई बात ही नहीं। लेकिन आपको लगता है कि सब चलता है तो आप एक विश्वासघात कर रहे हैं। उस साथी के साथ जिसके साथ आपने कोरे कागज पर लिखकर या अग्नि के सामने बिल्कुल सच्चा रिश्ता निभाने की शपथ ली है।

याद रखें सच्चाई को अधिक दिनों आप किसी से नहीं छुपा सकते, जीवनसाथी से तो बिल्कुल भी नहीं। अगर आपको लगता है कि यह गलत नहीं है तब आपको ऐसा जीवनसाथी जरूर मिल जाएगा जो आपके पुराने साथी के साथ आपको स्वीकार कर ले। नहीं तो बेहतर यही होगा कि शादी से पहले ही ऐसे संबंधों से पर्याप्त दूरी बनाकर रखी जाए।'

एमए के छात्र मेहरबान सिंह कहते हैं, 'अगर सच्चे प्रेम की बात की जाए तो उसके लिए यह जरूरी नहीं कि कब तक संबंध कायम रहें या कब खत्म हों। वे किस शक्ल में हों यह महत्वपूर्ण जरूर है पर जब दो लोग एक-दूसरे को इंतेहा की हद तक चाहते हैं तो ये सभी बातें गौण हो जाती हैं। क्योंकि इसे तो वही जान सकता है जो इससे गुजर रहा है।

अगर दोनों इस रिश्ते को कंटीन्यू रखना चाहते हैं तो इसमें कोई गलत बात नहीं है। वो तो एक-दूसरे का सहारा बन सकते हैं, मुश्किलों में साथ दे सकते हैं। एक बात और सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं हो सकता। कहते हैं कि वक्त सारे जख्म भर देता है पर अगर प्रेम सच्चा है तो कभी उसका अंत नहीं हो सकता, कभी भी नहीं।

जहाँ तक शादी के बाद के रिश्ते की बात है तो जो गरिमा सच्चे प्यार में होती है वह कभी गलत नहीं हो सकती शादी के बाद भी नहीं। प्रेम तो अनंत है, एक अद्वितीय एहसास है। यह समय की बेड़ियों में नहीं जकड़ा जा सकता। इसे जिसने महसूस किया और जिया हो वो हमेशा सच्चा ही बना रहेगा।'