दिल्ली मधुमेह शोध संस्थान को मिले तीन गिनीज रिकॉर्ड
नई दिल्ली। आगामी 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस से पहले दिल्ली मधुमेह शोध संस्थान (डीडीआरसी) को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। संस्थान ने मधुमेह के रोगियों में आंख, गुर्दा और स्नायुतंत्र (न्यूरोपेथी) की जांच के लिए सर्वाधिक मरीजों का एक ही स्थान पर एक साथ परीक्षण करने और तत्काल रिपोर्ट के आधार पर इलाज मुहैया कराने का गिनीज विश्व रिकार्ड कायम किया है।
डीडीआरसी के प्रमुख डॉ. अशोक झींगन ने बताया कि एक साथ एक हजार से अधिक मधुमेह रोगियों आंखों, गुर्दा और स्नायु तंत्र पर बीमारी के असर की जटिल जांच प्रक्रिया एक साथ की गई।
डॉ. झींगन ने बताया कि विभिन्न देशों में मधुमेह के लिए चल रहे शोध परक परीक्षण पर आधारित यह अनूठी पहल पिछले साल विश्व मधुमेह दिवस से पहले दिल्ली में गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड के अधिकारियों की मौजूदगी में की गई थी।
विश्व में इस तरह के अब तक के सबसे बड़े परीक्षण के दावे की पुष्टि की एक साल तक चली प्रक्रिया के बाद डीडीआरसी को तीन गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड दिए गए हैं। गिनीज की ओर से जारी प्रमाण-पत्र में भारत सहित विश्व भर में मधुमेह के रोगियों की संख्या में अनपेक्षित इजाफे के मद्देनजर इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने में संस्थान की इस कवायद को अनूठा मानते हुए इसे विश्व रिकार्ड का दर्जा दिया गया है। डा. झींगन ने किसी संस्था को एक साथ तीन गिनीज रिकार्ड मिलने का भी रिकार्ड कायम करने का दावा किया।
उन्होंने बताया कि डीडीआरसी द्वारा पिछले साल छह नवंबर को दिल्ली में 1069 मधुमेह रोगियों को एक साथ तीन परीक्षण के दौर से गुजारा गया। इनमें से 370 मरीजों के गुर्दे, 366 की आंख और 333 के स्नायु तंत्र पर मधुमेह के असर का परीक्षण किया गया। उसी समय तैयार की गई परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर पता लगाया गया कि टाइप टू के मधुमेह रोगियों में आंख, गुर्दा और त्वचा में संवेदना का अहसास कराने वाने स्नायु तंत्र अपेक्षाकृत अधिक असर पड़ता है।
उन्होंने इसकी शोधपरक रिपोर्ट के आधार पर बताया कि मधुमेह रोगियों खासकर टाइप टू मरीजों को साल में कम से कम एक बार ये तीन परीक्षण अवश्य कराने चाहिए। मधुमेह मरीजों को दूर या निकट दृष्टिदोष, गुर्दे की क्षमता में गिरावट और स्नायुतंत्र में कमी के कारण शरीर के किसी भी भाग का सुन्न पड़ना जैसी व्याधियों का पता ही नहीं चलता। ऐसे में नियमित परीक्षण और उसके मुताबिक नियमित दवा ही बीमारी के बेकाबू होने का एकमात्र उपाय है।
उल्लेखनीय है कि भारत लगभग सात करोड़ मधुमेह रोगियों के साथ विश्व में पहले स्थान पर आ गया है। संसद के पिछले मानसून सत्र में केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ के आंकड़ों के हवाले से बताया था कि भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
भारत में साल 2011 में मधुमेह रोगियों की संख्या 6.13 करोड़ थी जो साल 2013 में बढ़कर 6.51 करोड़ और साल 2015 में 6.92 करोड़ हो गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अन्य अनुमान के मुताबिक दिल्ली सर्वाधिक मधुमेह रोगियों वाला भारत का सबसे बड़ा शहर हो गया है। दिल्ली की लगभग 40 प्रतिशत आबादी इस बीमारी से पीड़ित है।
दिल्ली में प्रदूषण के ताजा संकट ने भी मधुमेह रोगियों की मुसीबत को बढ़ा दिया है। डा. झींगन ने बताया कि मधुमेह रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे में प्रदूषण के कारण हवा में घुले पीएम 2.5 और पीएम 10 तत्व मधुमेह रोगियों में सर्दी, जुकाम, गले और सीने के संक्रमण को बढ़ाने वाले साबित होते हैं। इससे न्यूमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने इसके मद्देनजर मधुमेह रोगियों से सुबह की सैर पर जाने से बचने, घर में ही योग और व्यायाम करने तथा समय समय पर गरम पानी का सेवन करते रहने की सलाह दी है। (भाषा)