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Written By एन. पांडेय
Last Modified: रविवार, 24 अक्टूबर 2021 (09:51 IST)

उत्तराखंड : खराब मौसम ने ली 7 की जान, ट्रैंकिंग पर गए 2 लोगों के जिंदा बचने की कहानी...

उत्तराखंड : खराब मौसम ने ली 7 की जान, ट्रैंकिंग पर गए 2 लोगों के जिंदा बचने की कहानी... - Uttarakhand : how 2 tracker rescued in bad weather
उत्तरकाशी। उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले में हर्षिल - छितकुल ट्रैक पर निकले ट्रेकिंग दल के साथ हुए हादसे में जिंदा बचे ट्रैकर मिथुन दारी और गाइड देवेंद्र सिंह चौहान सदमे में हैं। दोनों का कहना है कि मौसम की जटिलता के साथ-साथ उनके साथ गए पोर्टर की संदिग्ध भूमिका भी इस हादसे की बड़ी वजह रही।
 
उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में भर्ती कराए गए दोनों लोगों का कहना है कि 7 साथियों की मौत और 2 के अब भी लापता होने के पीछे पोर्टरों की लापरवाही है। मिथुन दारी 24 परगना बंगाल के विष्णु गंज नेपालगंज साऊथ के निवासी हैं।
 
मिथुन दारी के अनुसार 17 अक्टूबर को जब वे सुबह 6 बजे लखमा बेसकैम्प से आगे बढ़े तो लखमा पास पार करते करते मौसम दोपहर में खराब होने से बरफ गिरने लगी। आईटीबीपी की छितकुल पोस्ट वहां से 8 किलोमीटर दूर थी। उनको पूरी उम्मीद थी कि हम सब बर्फबारी के बीच छितकुल तक पहुंच ही जाएंगे।
 
अभी कुछ ही दूर चले थे कि मेरे एक साथी सुभियान दास बर्फ में अचानक फिसलकर मेरे ऊपर गिर गए। इससे सुभियान के पांव में चोट आ गई। उसके बाद वे चल ही नहीं पाए। एक और साथी विकास मैकल भी गिरकर चोटिल हो गए। इसके बाद उन्होंने यहीं टेंट लगा लिया। टेंट में विकास मैकल को भी साथ ही रखा लेकिन रात को उसकी मौत हो गई।
 
18 अक्टूबर की सुबह 2 कुक और उनके 6 साथी उन्हें छोड़कर यह कहते हुए छितकुल की तरफ निकले कि वे छितकुल आईटीबीपी की चौकी से उनको मदद के लिए कहेंगे। वे आगे बढ़ तो गए लेकिन उसके बाद उनसे कोइ संपर्क नहीं हो सका। उनके साथ गाइड के रूप में आए देवेंद्र सिंह चौहान रुक गए थे। उन्होंने ही उनकी जान बचाई।
 
गाइड देवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि जो पोर्टर साथ आये थे, वे खाने का सामान और टेंट लेकर लेकर आगे चले गए। उनके पास खाने के लिए एक खजूर का पैकेट और एक चॉकलेट बच गई थी जिसके सहारे ही उनकी जान बच पाई। उनको एस दौरान पानी भी नसीब नहीं हुआ।
 
3 दिनों फंसे रहने के बाद 20 अक्टूबर को उन्हें हेलीकॉप्टर नजर आया जिससे उन्हें उम्मीद जगी की अब वे बच जायेंगे। वे काफी देर तक हैलिकॉप्टर के लिए हाथ हिलाकर उनसे मदद मांगते रहे लेकिन हेलीकॉप्टर में बैठे लोगों की नजर उन पर नहीं पड़ सकी। दूसरे दिन जब फिर से हैलिकोप्टर आया तो तब जाकर उसकी नजर उन पर पड़ी और उनको रेस्क्यू किया जा सका।
 
मिथुन दारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में इन दिनों दुर्गा पूजा की छुट्टियों के कारण वे अपने 6 और साथियों के साथ यहां ट्रेकिंग पर आए थे। वे एक डाटा एंट्री ओपरेटर हैं। पिछले सालों में उन्होंने हर की दून और बल्ली पास में अपने साथियों के साथ ट्रेकिंग की ट्रेनिंग भी ली थी।
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